जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद अगले उपराष्ट्रपति को लेकर देशभर में संभावित चेहरों पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. विपक्ष लगातार जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछ रहा है. पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने 12 दिन पहले दिल्ली के जेएनयू में कहा था, "अगर भगवान ने चाहा तो मैं सही टाइम पर 2027 में रिटायर होऊंगा." धनखड़ की सबसे ज्यादा आलोचना करने वाले विपक्ष का कहना है कि मामला कुछ और है जो साफ-साफ नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में उन तीन थ्योरी को समझते हैं, जो जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की मुख्य वजहें रही होंगी.क्या बिहार चुनाव के लिए रास्ता बना रही बीजेपी?राजनीतिक गलियारों में यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि बिहार चुनाव से पहले धनखड़ के इस्तीफे से नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाए जाने का साफ हो गया है. ऐसे में बीजेपी को बिहार में पैर पसारने का मौका मिल जाएगा. इस बार बीजेपी बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में लगी हुई है. अगर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है तो बिहार में बीजेपी मुख्यमंत्री के लिए अपनी पार्टी के किसी नेता को सामने ला सकती है.बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने मंगलवार (22 जुलाई 2025) को इन अफवाहों को और हवा दे दी. उन्होंने कहा, "अगर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है तो यह बिहार के लिए बहुत अच्छा होगा." बीजेपी के लिए बहुत कुछ बिहार के चुनावों पर निर्भर है, जहां पार्टी कभी भी अपने दम पर सत्ता में नहीं रही है.जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे अपमान?जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की वजह मानसून सत्र के पहले दिन घटी घटनाएं भी हो सकती हैं. उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट से जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष सांसदों के नोटिस को स्वीकार किया था. यह उस समय हुआ जब सरकार लोकसभा में एक अहम प्रस्ताव ला रही थी. ऐसे में इस मामले का क्रेडिट विपक्ष के पाले में चला गया. सरकार की नाराजगी तब और खुलकर सामने आई जब राज्यसभा में सदन के नेता जे.पी. नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने धनखड़ की अध्यक्षता वाली बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में नहीं पहुंचे. हालांकि जेपी नड्डा ने कहा कि वो दोनों महत्वपूर्ण काम में व्यस्त थे और उन्होंने राज्यसभा के सभापति को पहले ही सूचित कर दिया था. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्यसभा के सभापति पहले से सूचित नहीं किया गया था, जो उपराष्ट्रपति का अपमान है.ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच जेपी नड्डा को धनखड़ की ओर इशारा करते हुए यह कहते सुना गया, "कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा, सिर्फ मैं जो कहूंगा वही रिकॉर्ड में जाएगा." हालांकि नड्डा ने कहा कि उनकी टिप्पणी विपक्षी सांसदों के लिए थी.ज्यूडिशियरी से टकरावजगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि उन्होंने बीते कुछ महीनों के दौरान ज्यूडिशियरी के खिलाफ कई तीखे बयान दिए थे, जिससे केंद्र सरकार असहज हो गई थी. साल 2022 में नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन (NJAC) कानून रद्द किए जाने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर भी निशाना साधा था.सुप्रीम कोर्ट पर उनकी टिप्पणी को सरकार की टिप्पणी माना गया और खूब आलोचना हुई. हालांकि तमाम अटकलों के बीच यह भी संभव है कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से ही इस्तीफा दिया हो.ये भी पढ़ें : संसद में दोपहर एक से 4.30 बजे के बीच ऐसा क्या हुआ, जिसने लिख दी जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की स्क्रिप्ट? जानें इनसाइड स्टोरी