थाईलैंड और कंबोडिया में जिस मंदिर को लेकर छिड़ी है जंग, उसका मालिक कौन?

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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्रीह विहार मंदिर को लेकर तनाव और सैन्य झड़पें सुर्खियों में हैं. यह मंदिर दोनों देशों की सीमा पर डांगरेक पहाड़ियों में 525 मीटर ऊंची चट्टान की चोटी पर स्थित है और दोनों देश इसे अपना बताते हैं. लेकिन सवाल यह है कि इसका असली मालिक कौन है? आइए जानते हैं. प्रीह विहार मंदिर का इतिहास प्रीय विहियर मंदिर की बात करें तो यह मंदिर 11वीं सदी में खमेर साम्राज्य के राजा सूर्यवर्मन प्रथम ने बनवाया था . यह भगवान शिव को समर्पित है और इसमें शिवलिंग आज भी मौजूद है. खमेर साम्राज्य उस समय कंबोडिया और थाईलैंड के कुछ हिस्सों तक फैला था, जिसके कारण दोनों देश इस मंदिर पर दावा करते हैं. ये मंदिर थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर डोंगरेक पहाड़ी के शिखर पर स्थित है,  जिसमें 800 सीढ़ियां और पांच खूबसूरत गोपुरम (प्रवेश द्वार) हैं. यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है.विवाद की वजहमंदिर थाईलैंड के सुरीन और सीसाखेत प्रांत और कंबोडिया के प्रीह विहार प्रांत की सीमा पर है. 1907 में फ्रांस ने (जो उस समय कंबोडिया पर शासन करता था) एक नक्शा बनाया, जिसमें मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा दिखाया गया. थाईलैंड ने इस नक्शे को गलत बताया और कहा कि मंदिर उनके क्षेत्र में है.मंदिर का मालिक कौन?1953 में कंबोडिया की स्वतंत्रता के बाद भी यह विवाद जारी रहा. 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने फैसला दिया कि प्रीह विहार मंदिर कंबोडिया के क्षेत्र में है. कोर्ट ने कहा कि 1907 के नक्शे के आधार पर मंदिर कंबोडिया के क्षेत्र में आता है, और थाईलैंड को अपनी सेना हटानी होगी. हालांकि मंदिर कंबोडिया को दिया गया, लेकिन इसके आसपास की 4.6 वर्ग किलोमीटर जमीन पर दोनों देश दावा करते हैं. इस जमीन का मालिकाना हक अभी साफ नहीं है, जिसके कारण तनाव बना हुआ है.इसे भी पढ़ें- किन-किन देशों को कंडोम बेचता है भारत, कौन है सबसे बड़ा खरीदार?