पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:किसी का भला करने में देर न करें और बुरा करने से बचें

Wait 5 sec.

किसी के कठिन समय में यदि वो हमारे पास कोई मदद लेने आए, और हमको लगे यह हमारी सीमा के बाहर की बात है, तो उसे तुरंत वहां भेजें, जहां समाधान हो सकता है। गरुड़ जी को भ्रम हो गया था कि मैंने श्रीराम के बंधन खोले। वो नारद जी से मिले। नारद जी को लगा कि मैं उन्हें समझा नहीं पाऊंगा, तो उन्होंने गरुड़ जी से कहा- महामोह उपजा उर तोरें। मिटिहिं न बेगि कहें खग मोरें। हे गरुड़, आपके हृदय में भारी मोह उत्पन्न हो गया है। ये मेरे समझाने से नहीं मिटेगा। तो आप ब्रह्मा जी के पास जाइए, वहां समाधान होगा। इससे हम सबक लें कि ऐसा होगा, कई लोग जो हमसे जुड़े होंगे, वो परेशानी के दौर में हमारे पास आएंगे। तो तुरंत फैसला लें कि क्या हम इसका समाधान जुटा सकेंगे? और नहीं तो उसको उलझाएं ना। कई बार ऐसा होता है। एक तो व्यक्ति परेशानी में है। ऊपर से सामने वाला और उसको उलझा दे तो परेशानी बढ़नी ही है। किसी का भला करने में देर ना करें और किसी का बुरा करना हो तो पर्याप्त विलम्ब करें।