इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 18 सितंबर से शुरू हो रहा है। धर्मशास्त्रों के अनुसार पितरों के तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है। गया श्राद्ध श्रेष्ठ माना गया है, लेकिन हर वर्ष नित्य श्राद्ध करना अनिवार्य है। नियमित श्राद्ध से पितरों की कृपा और दोष से मुक्ति मिलती है।