लगभग चार साल बाद गुरुवार को लखनऊ में मायावती ने एक विशाल रैली में हुंकार भरी. लेकिन ये हुंकार ताकत की है या वर्चस्व बचाने और चुनौतियों के डर का शक्ति प्रदर्शन?