स्वीडन में आज फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार की घोषणा होगी। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज दोपहर 3:15 बजे विजेताओं के नाम का ऐलान करेगी। फिजिक्स का नोबेल उन वैज्ञानिकों को मिलता है जिनकी खोजें हमारे ब्रह्मांड, प्रकृति या तकनीक को समझने में बड़ा बदलाव लाती हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में अनुमान लगाया गया है कि इस बार क्वांटम कंप्यूटिंग, नैनोटेक्नोलॉजी या ऊर्जा के नए सोर्स जैसी खोज को पुरस्कार मिल सकता है। विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। अगर एक से ज्यादा वैज्ञानिक जीतते हैं, तो यह प्राइज मनी उनके बीच बंट जाती है। पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे। कैसे होगा ऐलान? 2024 में मशीन लर्निंग में फिजिक्स के इस्तेमाल के लिए मिला था पुरस्कार 2024 में जॉन जे. होपफील्ड और जेफ्री हिंटन को मशीन लर्निंग में फिजिक्स के इस्तेमाल के लिए यह पुरस्कार मिला था। जॉन हॉपफील्ड: इन्होंने एक ऐसी तकनीक बनाई जो कंप्यूटर को चीजें याद रखने और पहचानने में मदद करती है, जैसे इंसान का दिमाग तस्वीरें याद रखता है। इसे हॉपफील्ड नेटवर्क कहते हैं। जेफ्री हिंटन: इन्हें AI का 'गॉडफादर' कहा जाता है। इन्होंने बोल्ट्जमैन मशीन बनाई, जो कंप्यूटर को डेटा से खुद सीखने की ताकत देती है। उदाहरण के तौर पर यह फोटो देखकर समझ सकती है कि यह कुत्ता है या बिल्ली। 1895 में हुई थी नोबेल पुरस्कार की स्थापना नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी और पुरस्कार 1901 में मिला। 1901 से 2024 तक मेडिसिन की फील्ड में 229 लोगों को इससे सम्मानित किया जा चुका है। इन पुरस्कारों को वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिया जाता है। शुरुआत में केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही नोबेल दिया जाता था। बाद में इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में भी नोबेल दिया जाने लगा। नोबेल प्राइज वेबसाइट के मुताबिक उनकी ओर से किसी भी फील्ड में नोबेल के लिए नॉमिनेट होने वाले लोगों के नाम अगले 50 साल तक उजागर नहीं किए जाते हैं। फिजिक्स नोबेल भारत से जुड़े 2 वैज्ञानिकों को मिल चुका है -------------------------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... मेडिसिन का नोबेल 3 वैज्ञानिकों को, इनमें 1 महिला:इम्यून सेल के हमले रोकने वाली T-कोशिकाएं खोजीं; कैंसर-डायबिटीज के इलाज में मददगार साल 2025 का मेडिसिन नोबेल प्राइज मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन साकागुची को मिला है। इन्हें यह प्राइज पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस के क्षेत्र में किए गए रिसर्च के लिए दिया गया है। इसमें उन्होंने खोज की है कि शरीर के शक्तिशाली इम्यून सिस्टम को कैसे कंट्रोल किया जाता है, ताकि यह गलती से हमारे अपने अंगों पर हमला न करे। यहां पढ़ें पूरी खबर...