चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर ने कहा- सीजेआई के भगवान विष्णु पर दिए बयान से मैं आहत हूं, उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। उन्होंने कहा- यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ के केस में बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। उदाहरण के लिए- हलद्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तीन साल पहले स्टे लगाया, जो आज तक लगा हुआ है। वहीं, इस घटना पर SC बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कहा- भगवान विष्णु की मूर्ति केस में CJI की टिप्पणी को गलत तरीके से दिखाया गया, जिससे ऐसा लगा जैसे CJI ने देवता का अपमान किया। वकील ने प्रसिद्धि पाने के लिए ऐसा किया। दरअसल, 8 सितंबर की दोपहर CJI की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। तभी आरोपी ने CJI की तरफ जूता फेंका। हालांकि जूता उनकी बेंच तक नहीं पहुंच सका। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को पकड़ लिया था। 3 घंटे पूछताछ के बाद पुलिस ने वकील को छोड़ा, बार ने निलंबित किया जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने सोमवार को हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में ही 3 घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि SC अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार का लाइसेंस रद्द कर दिया है। उसका रजिस्ट्रेशन 2011 का है। इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया। बीसीआई चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने ये आदेश जारी किया था। उन्होंने कहा था कि यह वकीलों के आचरण नियमों का उल्लंघन है। निलंबन के दौरान किशोर कहीं भी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। 15 दिनों में शो कॉज नोटिस भी जारी किया जाएगा। SCBA ने इस घटना पर पर दुख जताते हुए कहा - ऐसा असंयमित व्यवहार पूरी तरह अनुचित है और न्यायालय और वकील समुदाय के बीच पारस्परिक सम्मान की नींव को हिलाता है। कोई भी ऐसा कार्य जो इस पवित्र बंधन को कमजोर करता है, न केवल संस्था को बल्कि हमारे राष्ट्र में न्याय के ताने-बाने को भी क्षति पहुंचाता है। वकील राकेश किशोर का बयान.... बात ये है कि मैं बहुत ज्यादा आहत हुआ, 16 सितंबर को चीफ जस्टिस के कोर्ट में किसी व्यक्ति ने PIL दाखिल की, तो गवई साहब ने पूरी तरह से उसका मजाक उड़ाया, कहा कि आप मूर्ति से प्रार्थना करो, मूर्ति से कहो कि अपना सिर रिस्टोर कर ले। जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला जैसे- जलिकट्टू हो, दही हांडी की ऊंचाई... तो ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ऐसे ऑर्डर पास करती करती है, जिनसे मुझे बहुत दुख होता है। इन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। ठीक है उस आदमी (याचिकाकर्ता) को रिलीफ नहीं देनी है नहीं दीजिए... लेकिन उसका मजाक नहीं उड़ाएं, उसकी याचिका भी खारिज कर दी। राकेश ने कहा था- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान 6 अक्टूबर को जूता फेंकने पर पकड़े जाने के बाद वकील राकेश किशोर ने नारा लगाते हुए कहा था- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।' वहीं घटना के बाद CJI ने अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि इस सबसे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता। CJI पर हमले पर किसने क्या कहा.... 16 सितंबर को CJI ने कहा था- जाओ, भगवान से खुद करने को कहो माना जा रहा है कि वकील CJI गवई की मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना पर की गई टिप्पणियों से नाराज था। CJI ने 16 सितंबर को खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कहा था- जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो। जानिए क्या है भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ा मामला 16 सितंबर को मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थी। याचिकाकर्ता ने इस फैसले पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि ये हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला फैसला है। कोर्ट ने कहा है कि प्रतिमा जिस स्थिति में है, उसी में रहेगी। भक्तों को पूजा करनी है तो वे दूसरे मंदिर जा सकते हैं। दरअसल, याचिकाकर्ता का दावा है कि यह मूर्ति मुगलों के आक्रमणों के दौरान खंडित हो गई थी और तब से यह इसी हालत में है। इसलिए श्रद्धालुओं के पूजा करने के अधिकार की रक्षा करने और मंदिर की पवित्रता को पुनर्जीवित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करे। 18 सितंबर: टिप्पणी का विरोध होने पर CJI ने सफाई दी भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने को लेकर दी टिप्पणी पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से दिखाया गया। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। बेंच में शामिल जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को एंटी-सोशल मीडिया कहा था। उन्होंने बताया कि उन्हें भी ऑनलाइन गलत तरह से दिखाया गया है। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील संजय नूली ने कहा कि CJI के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाए गए बयान झूठे हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था- सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है 18 सितंबर को ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं। मेहता ने कहा था कि न्यूटन का नियम है कि हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर हर क्रिया की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया हो जाती है। वहीं, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी सहमति जताई और कहा कि सोशल मीडिया की वजह से वकीलों को रोज दिक्कत उठानी पड़ती है। VHP नेता बोले- सबका कर्तव्य है वाणी पर संयम रखनाVHP के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने X पर लिखा- न्यायालय न्याय का मंदिर है। भारतीय समाज की न्यायालयों पर श्रद्धा और विश्वास है। हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास न सिर्फ बना रहे वरन और मजबूत हो। हम सब का यह भी कर्तव्य है कि अपनी वाणी में संयम रखें। विशेष तौर पर न्यायालय के अंदर। यह जिम्मेदारी मुकदमा लड़ने वालों की है, वकीलों की है और उतनी ही न्यायाधीशों की भी है। देखिए जावरी मंदिर की 4 तस्वीरें... ................................. सीजेआई से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें.... जस्टिस गवई का राजनीति में एंट्री से इनकार: बोले- रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लूंगा, देश खतरे में हो तो SC अलग नहीं रह सकता सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने रिटायर होने के बाद पॉलिटिक्स में एंट्री लेने से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि CJI के पद पर रहने के बाद व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। जस्टिस गवई ने केशवानंद भारती मामले में दिए फैसले का हवाला देते हुए अपने बौद्ध धर्म, हाईकोर्ट के जजों के लिए संपत्ति घोषणा के महत्व और संविधान की सर्वोच्चता की भी बात की थी। पूरी खबर पढ़ें...