ट्रम्प को शांति का नोबेल मिलेगा या नहीं, फैसला आज:मस्क-इमरान और पोप फ्रांसिस भी दावेदार; गांधी की हत्या के साल किसी को नहीं मिला

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नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में आज शांति के नोबेल पुरस्कार की घोषणा होगी। इस बार 338 उम्मीदवार हैं, जिनमें 244 लोग और 94 संगठन शामिल हैं। इन सब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सबसे ज्यादा चर्चा में है। वे कई बार कह चुके हैं कि उन्हें यह पुरस्कार मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने भारत-पाकिस्तान समेत 7 युद्ध रुकवाए हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि उनकी जीत की संभावना कम है। अन्य नामों में पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान, टेस्ला CEO इलॉन मस्क, मलेशियाई PM अनवर इब्राहिम और पोप फ्रांसिस (अप्रैल में निधन हो गया) शामिल हैं। विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। अगर एक से ज्यादा लोग जीतते हैं, तो यह प्राइज मनी उनके बीच बंट जाती है। पुरस्कार 10 दिसंबर को ओस्लो में दिए जाएंगे। गांधी नोबेल के लिए 5 बार नॉमिनेट हुए थे नोबेल शांति पुरस्कार 1901 से 2024 तक 141 बार दिया जा चुका है। 111 व्यक्तियों और 30 संगठनों को यह सम्मान मिला है। गांधी को 1937 से 1948 तक 5 बार नोबेल के लिए नॉमिनेट किया गया था, लेकिन हर बार वे पुरस्कार से चूक गए। गांधी 1948 में नोबेल के सबसे बड़े दावेदार थे, लेकिन नॉमिनेशन क्लोज होने से 1 दिन पहले ही उनकी हत्या कर दी गई थी। नोबेल कमेटी ने उस साल किसी को भी शांति का नोबेल नहीं दिया। कमेटी का कहना था कि वे किसी ऐसे व्यक्ति को यह पुरस्कार देना चाहते थे जो गांधी जैसी शांति और अहिंसा की भावना को बढ़ावा दे, लेकिन उन्हें कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिला। इजराइल-पाकिस्तान ने ट्रम्प को नॉमिनेट किया पाकिस्तान और इजराइल जैसा एक दूसरे के धुर विरोधी देश भी ट्रम्प को नोबेल के लिए नॉमिनेट कर चुके हैं। पाकिस्तान का कहना है कि ट्रम्प ने भारत से सीजफायर में रोल निभाया था। वहीं, इजराइल ने ईरान से जंग में सीजफायर के लिए ट्रम्प को नॉमिनेट किया है। 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2025 थी। नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के नियमों के अनुसार, इस तारीख के बाद आए किसी भी नामांकन को 2025 के नोबेल के लिए स्वीकार नहीं किया गया। हर साल 1 फरवरी से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होती है और उसी दिन तक मिले नाम ही मान्य होते हैं। ट्रम्प ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, उसके 11 दिन बाद ही नॉमिनेशन प्रोसेस बंद हो गई थी। ऐसे में इस बार ट्रम्प की दावेदारी कमजोर है। अगले साल ट्रम्प की दावेदारी मजबूत हो सकती है ट्रम्प ने हाल ही में गाजा सीजफायर प्लान पेश किया था, जिसे इजराइल और हमास दोनों मंजूर कर चुके हैं। ट्रम्प इसे भी अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रहे हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि गाजा में शांति समझौता देर से हुआ, इसलिए इस बार ट्रम्प की जीत मुश्किल है। नोबेल कमेटी की निना ग्रेगर ने कहा कि नोबेल के फैसले पर गाजा सीजफायर का असर नहीं होगा, लेकिन अगर यह शांति स्थायी रही, तो अगले साल ट्रम्प की दावेदारी मजबूत हो सकती है। इमरान मानवाधिकार और मस्क अभिव्यक्ति की आजादी के लिए नॉमिनेट पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान को पाकिस्तान वर्ल्ड अलायंस ने मानवाधिकार और लोकतंत्र के लिए नॉमिनेट किया है। खान अगस्त 2023 से पाकिस्तान की अडियाला जेल में बंद हैं। उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में 14 साल की जेल हुई है। टेस्ला के CEO इलॉन मस्क को यूरोपीय सांसद ब्रैंको ग्रिम्स ने अभिव्यक्ति की आजादी के लिए नॉमिनेट किया है। हालांकि मस्क कह चुके हैं कि उन्हें कोई पुरस्कार नहीं चाहिए। 1895 में हुई थी नोबेल पुरस्कार की स्थापना नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी और पुरस्कार 1901 में मिला। 1901 से 2024 तक साहित्य की फील्ड में 121 लोगों को सम्मानित किया जा चुका है। इन पुरस्कारों को वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिया जाता है। शुरुआत में केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही नोबेल दिया जाता था। बाद में इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में भी नोबेल दिया जाने लगा। नोबेल प्राइज वेबसाइट के मुताबिक उनकी ओर से किसी भी फील्ड में नोबेल के लिए नॉमिनेट होने वाले लोगों के नाम अगले 50 साल तक उजागर नहीं किए जाते हैं। दो भारतीय को नोबेल पीस प्राइज मिल चुका हैमदर टेरेसा- कोलकाता में गरीब और बीमार लोगों की सेवा करती थीं। उन्होंने 1950 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी शुरू की। 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिला, क्योंकि उन्होंने गरीबों की जिंदगी बेहतर की।कैलाश सत्यार्थी- बच्चों को गुलामी से बचाने के लिए बचपन बचाओ आंदोलन शुरू किया। वे कारखानों और खानों से बच्चों को निकालकर स्कूल भेजते थे। 2014 में उन्हें मलाला यूसुफजई के साथ नोबेल शांति पुरस्कार मिला। मीडिया ने 125 साल में पहली बार देखी नोबेल कमेटी की बैठक 125 साल में पहली बार, BBC और नॉर्वे के एक चैनल को नोबेल पीस कमेटी की सीक्रेट बैठक देखने की इजाजत मिली। नॉर्वे की संसद की तरफ से चुने गए 5 लोग सोमवार को ओस्लो के नोबेल इंस्टीट्यूट में मिले। कमरे में पुराना फर्नीचर और दीवारों पर पिछले विजेताओं की तस्वीरें लगी थीं। इस साल के विजेता की तस्वीर के लिए जगह खाली थी। कमेटी के हेड जोर्गन वाटने फ्राइडनेस ने बताया- हम खूब बहस करते हैं, लेकिन सभ्य तरीके से। हम सबकी सहमति से फैसला लेते हैं। इसके बाद कमेटी ने अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत पढ़ी, जिसमें कहा गया है कि पुरस्कार उसे मिलेगा जो- फिर दरवाजा बंद कर प्राइज को लेकर सीक्रेट फैसला लिया गया। ---------------------------------------------- नोबेल से जुड़ी खबरें भी पढ़ें...