बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने 1968 में क्रिकेटर मंसूर अली खान के साथ इंटर रिलीजन शादी की थी. एक्ट्रेस के इस कदम ने समाज के एक खास वर्ग को नाराज कर दिया था. वहीं सालों बाद शर्मिला टैगोर के बेटे बेटे सैफ अली खान और बेटी सोहा अली खान ने भी दूसरे धर्म में लव मैरिज की थी. जहां सैफ अली खान ने पहले अमृता सिंह से इंटर रिलीजन शादी की थी तो फिर 2012 में उन्होंने करीना कपूर से भी इंटर फेथ शादी की थी. वहीं सोहा अली खान ने कुणाल खेमू के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद, 2015 में उनसे शादी कर ली थी. वहीं सोहा अली खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया कि इंटर रिलीजन शादी करने को लेकर हमेशा से ही शोर मचा रहा है, और सैफ और करीना की शादी के दौरान, लोगों ने 'घर वापसी' और 'लव जिहाद' जैसी अजीबोगरीब बातें कही थीं.सैफ अली खान और करीना कपूर की शादी को मिली थी नफरतदरअसल सोहा अली खान ने नयनदीप रक्षित के साथ बातचीत में बताया कि लोग हमेशा अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते रहे हैं. उन्होंने सैफ और करीना की शादी पर नफ़रत करने वालों द्वारा इस्तेमाल की गई अजीबोगरीब टिप्पणियों के बारे में भी बताया. 'छोरी 2' स्टार ने कहा कि इससे उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, क्योंकि हर किसी की अपनी राय होती है.उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि इससे मुझे कोई फ़र्क़ पड़ा है क्योंकि मुझे लगता है कि जब तक जिन लोगों से मैं प्यार करती हूं, जिनकी मैं परवाह करती हूं और जिनका मैं सम्मान करती हूं, वे मेरे साथ एक ही राय रखते हैं, तब तक सब ठीक है.बहुत से नफ़रत करने वाले होंगे, बहुत सी आवाज़ें उठेंगी, और यह भी ठीक है. मुझे हर किसी की अपनी राय रखने में कोई दिक्कत नहीं है और यह सब ठीक है."लव जिहाद, घर वापसी जैसी अजीबोगरीब हेडलाइन्स बनाई गईउन्होंने आगे कहा, "तो मुझे लगता है कि ये चीज़ें जैसे... अंतरधार्मिक शादी, यहां तक कि जब कुणाल और मेरी शादी हुई, यहां तक कि जब करीना और भाई की शादी हुई, तब भी बहुत सी अजीबोगरीब बातें हुईं. लव जिहाद, घर वापसी, तरह-तरह की अजीबोगरीब हेडलाइन्स बनाई जा रही थीं. यहां तक कहा गया, 'तुमने हमारा एक लिया, अब हम तुम्हारा एक लेंगे. "आज की दुनिया ज़्यादा इनटॉलरेंट हैसोहा ने वर्तमान दुनिया की तुलना 60 के दशक से की, जब उनके माता-पिता की शादी हुई थी. उनके अनुसार, आज की दुनिया ज़्यादा चरमपंथी है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि कुछ लोग इन बातों पर विश्वास भी नहीं करते, लेकिन लोग बस सनसनी फैलाने के लिए बातें कहते हैं, लेकिन... कई मायनों में, शायद, 60 का दशक ज़्यादा आज़ादी भरा था," उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "और कुछ मायनों में, जैसा कि आप पूरी दुनिया में देख सकते हैं, हम थोड़े इनटॉलरेंट, थोड़े ज़्यादा एक्स्ट्रीम हो गए हैं."