भारत के एक संत हैं- राधाकृष्ण जी महाराज, जो अपने प्रवास के अवसर पर प्रभात फेरी का आयोजन करते हैं। यह हमारे संतों की पुरानी परंपरा है। प्रभात फेरी एक संदेश है कि सूर्योदय के साथ अपनी ऊर्जा को जोड़ें। और ऐसे ही भारत के सामाजिक क्षेत्र में शाखा का प्रयोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किया। संघ ने जितने प्रयोग किए, उनमें तीन बड़े अद्भुत हैं- आत्मबोध, समरसता और परिवार-प्रबंधन। संत प्रभात फेरी निकालकर सोते हुओं को जगाना चाहते हैं और संघ के प्रचारक विश्राम में रहते हुए भी अद्भुत सक्रिय रहते हैं। हमारे देश की संत-परंपरा और संघ का संगठन हमें आश्वस्त करता है कि भारत की संस्कृति पर शत्रु आक्रमण तो कर सकता है पर पराजित नहीं कर सकता। आने वाले समय में युवाओं को प्रभात फेरियों और शाखाओं से अवश्य जुड़ना चाहिए। तब वे जान सकेंगे कि व्यक्तित्व और चरित्र का क्या अंतर है। व्यक्तित्व उनको, उनके व्यावसायिक जीवन में प्रभावशाली बनाएगा, लेकिन चरित्र उनको पूर्ण सफल बनाएगा, जहां वो सफलता शांति के साथ उपलब्ध कर सकेंगे।