पाकिस्तान अपने खनिज और बंदरगाह अमेरिका को सौंपकर इसे अपनी रणनीतिक जीत बता रहा है. लेकिन पाकिस्तान की कुछ राजनीतिक शक्तियां अपने हुक्मरानों को मुगल बादशाह जहांगीर की कहानी याद दिला रही हैं, जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को सूरत के पोर्ट से तिजारत करने की इजाजत दी थी. जिसका नतीजा 200 वर्षों बाद हिन्दुस्तान की गुलामी के रूप में सामने आया.