केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि अगर दुनिया में कोई भी व्यक्ति जो भारत आना चाहता है, उसे आने दिया जाए, तो हमारा देश एक धर्मशाला बन जाएगा। शाह ने कहा कि घुसपैठ को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्हें राजनीतिक संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। हम घुसपैठियों का पता लगाएंगे और उन्हें देश से बाहर करेंगे। एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में शाह ने कहा कि घुसपैठिये कौन हैं? जिन पर धार्मिक प्रताड़ना नहीं हुई और आर्थिक कारणों या अन्य कारणों से अवैध तरीके से भारत आना चाहते हैं, वे घुसपैठिये हैं। उन्होंने कहा कि वोट देने का अधिकार सिर्फ उन लोगों को दिया जाना चाहिए, जो भारत के नागरिक हैं। भाजपा ने डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट के सूत्र को 1950 के दशक से स्वीकार किया है। SIR को राजनीतिक नजरिए से न देखें शाह ने कहा कि घुसपैठ और चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR)को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है। किसी को भी SIR प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है। वोटर लिस्ट में शामिल घुसपैठिए देश की राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बन जाते हैं, यह संविधान की भावना को दूषित करने जैसा है। वोट का अधिकार केवल उन लोगों को मिलना चाहिए जो इस देश के नागरिक हैं। शाह की बातचीत की प्रमुख बातें... ------------------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... शाह बोले- जो भारत में नहीं जन्मा, वोट नहीं डाल सकेगा, बांग्लादेश से आकर बिहार में नौकरियां खा जाते हैं, लालू-कांग्रेस उन्हें बचाना चाहते हैं गृहमंत्री अमित शाह और नीतीश कुमार ने शुक्रवार को सीतामढ़ी में माता जानकी मंदिर का भूमिपूजन किया। इस दौरान डिप्टी CM सम्राट चौधरी भी उनके साथ मौजूद रहे। अमित शाह ने SIR पर लालू-राहुल को घेरते हुए कहा कि जो भारत में जन्मा नहीं, उसे वोट देने का अधिकार नहीं। घुसपैठिए इन लोगों के वोट बैंक हैं। इसलिए इनको (महागठबंधन) परेशानी है। पढ़ें पूरी खबर...