आशी ने वकालातनामा पर साइन करवाए और 2 लाख 75 हजार रुपये फीस ले ली। धर्मेंद्र के अनुसार वह केस में पेरवी करने और केस समाप्त करवाने का आश्वासन देती रही। कुछ समय बाद पता चला आशी एक बार भी कोर्ट नहीं गई।