पिछले दो साल से लगातार माओवाद संगठन पर केंद्र व राज्य सरकार हर मोर्चो पर वार कर रही है। जहां एक और विकास की किरणें उन इलाकों में पहुंचाई जा रही है जहां कभी माओवाद नाम का अंधेरा हुआ करता था। मुठभेड़ों के अलावा बड़े लीडर आत्मसमर्पण कर रहे है, लेकिन हिड़मा की मौत के बाद संगठन पूरा टूट चुका है।