पेरेंटिंग- 5 साल की बेटी बहुत झूठ बोलती है:डांटने, समझाने का कोई असर नहीं, क्या ये सिर्फ एक डेवलपमेंट फेज है, उसे कैसे सिखाएं

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सवाल- मैं पुणे से हूं। मेरी एक 5 साल की बेटी है। वह पढ़ने-लिखने में काफी अच्छी है। हमेशा हंसती-खेलती रहती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से हमने एक बात नोटिस की है कि वह छोटी-छोटी बातों में अक्सर झूठ बोलने लगी है। जैसे खिलौना तोड़ने पर कहना कि वो खुद गिर गया या चॉकलेट खाने पर इनकार करना। मैंने उसे कई बार समझाया कि झूठ बोलना गलत है, कहानियां सुनाईं और डांटा भी, लेकिन वह सुनकर भी नहीं मानती है और दोबारा वही करती है। क्या यह उम्र का फेज है या कोई समस्या? मैं अपनी पेरेंटिंग में कौन-से बदलाव करूं ताकि वह सच बोलने की अहमियत समझे, ट्रस्ट बिल्ड करे और ईमानदारी सीखे? कृपया मेरा मार्गदर्शन करें। एक्सपर्ट: डॉ. अमिता श्रृंगी, साइकोलॉजिस्ट, फैमिली एंड चाइल्ड काउंसलर, जयपुर जवाब- मैं आपकी चिंता अच्छी तरह समझ सकती हूं। इस उम्र में बच्चे की झूठ बोलने की आदत पेरेंट्स को परेशान करती है, लेकिन सबसे पहले तो हमें ये जानना चाहिए कि बच्चों की दुनिया में सही और झूठ का कोई कॉन्सेप्ट नहीं होता है। ये कॉन्सेप्ट वयस्कों द्वारा ही उन्हें इंट्रोड्यूस कराया जाता है। वरना उन्हें क्या पता कि वे जो फील कर रहे हैं, उन्हें जो दिख रहा है, उसे नहीं बोलना बल्कि झूठ बोलना है। वे अपने आसपास के माहौल से ही झूठ बोलना सीखते हैं। इसके अलावा वे कई बार डांट-मार खाने, गलती छिपाने या दोस्तों के प्रभाव में आकर भी झूठ बोलते हैं। ऐसे में सबसे पहले हमें बच्चे के झूठ बोलने के पीछे की वजह को आइडेंटिफाई करने की जरूरत है। बच्चों के झूठ के पीछे का सच कुल मिलाकर बच्चों के झूठ बोलने की असली वजह उनके आसपास का वातावरण ही है। जब बच्चा झूठ बोलता है तो वह अपने अंदर के डर को छिपा रहा होता है। ये डर सजा, डांट या फिर एक्सेप्ट न किए जाने का होता है। कई बार वो इसलिए झूठ बोलता है क्योंकि उसे लगता है कि सच बोलने से मम्मी-पापा नाराज हो जाएंगे या उसकी गलती को माफ नहीं करेंगे। असल में झूठ बोलना सेल्फ डिफेंस का तरीका होता है। वह झूठ नहीं बोल रहा होता, बल्कि अपने सच की सुरक्षा कर रहा होता है। अगर हम बच्चों के झूठ को पकड़ने की जगह, उनके डर को समझने की कोशिश करें तो सच खुद-ब-खुद सामने आ जाता है। इसलिए जब बच्चा झूठ बोले तो उसे शर्मिंदा या डरा हुआ महसूस न कराएं बल्कि ऐसा माहौल बनाएं, जहां वह निडर होकर अपनी गलती भी मान सके। इसके अलावा और भी कुछ कारण हैं, जो बच्चों के झूठ बोलने के लिए जम्मेदार होते हैं। बच्चों को होती है भरोसे की जरूरत झूठ बोलना बच्चों की आदत नहीं, बल्कि एक संकेत है कि ‘कुछ तो है, जो वो कहना चाहते हैं, लेकिन कह नहीं पाते’। जब बच्चा अक्सर झूठ बोलने लगे तो उसे गलत ठहराने के बजाय यह समझने की कोशिश करें कि वह ऐसा क्यों कर रहा है, क्या उसे डांट का डर है? या उसे लगता है कि उसकी बात पर भरोसा नहीं किया जाएगा? दरअसल सच बोलने का साहस तभी आता है, जब बच्चा खुद को सुरक्षित और स्वीकार्य महसूस करता है। इसलिए जरूरी है कि घर में ऐसा माहौल बनाएं, जहां सच बोलना ‘जोखिम’ नहीं बल्कि ‘साहस’ समझा जाए। जब बच्चा यह महसूस करेगा कि उसकी बात सुनी जाएगी तो झूठ की जरूरत अपने आप खत्म हो जाएगी। इसके अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखें। आइए, अब इन टिप्स को थोड़ा विस्तार से समझते हैं। गुस्सा करने की बजाय शांत रहें जब आपकी बेटी झूठ बोले तो गुस्सा करने की बजाय शांत रहें। गुस्सा करने से बच्चे डर जाते हैं और अगली बार और झूठ बोलते हैं, ताकि डांट से बच सकें। इसके बजाय उससे प्यार से पूछें, "बेटा, क्या हुआ? सच बताओ, मैं तुम्हारी मदद करूंगी।" इससे उसे लगेगा कि सच बोलने से सपोर्ट मिलता है, न कि सजा। उदाहरण के लिए, अगर वह कहती है कि "मैंने चॉकलेट नहीं खाई," जबकि उसने खाई है तो कहें, "अगर तुमने खाई है तो बताओ, हम साथ में साफ करेंगे। झूठ बोलने से समस्या बड़ी हो जाती है।" इससे वह सीखेगी कि सच बोलना अच्छा है। सच बोलने पर हमेशा तारीफ करें बच्चे पॉजिटिव रीइंफोर्समेंट से जल्दी सीखते हैं। अगर वह कोई छोटी बात में सच बोलती है, जैसे "हां, मैंने ग्लास गिराया," तो कहें कि "तुमने सच बोला, इसलिए तुम्हें डांट नहीं पड़ेगी।" इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह सोचेगी कि सच बोलना अच्छा है। आप छोटे रिवॉर्ड्स भी दे सकती हैं, जैसे स्टिकर या हग, लेकिन इसे आदत न बनाएं। खुद बेहतरीन उदाहरण बनें बच्चे पेरेंट्स को कॉपी करते हैं। अगर आप फोन पर कहती हैं, "बताओ कि मैं घर पर नहीं हूं," तो बच्चा सोचता है कि झूठ बोलना ठीक है। इसलिए हमेशा सच बोलें, भले ही छोटी बात हो। जैसे, अगर देर हो गई है तो कहें, "सॉरी, मैं लेट हो गई," न कि बहाना बनाएं। इससे बच्चा देखकर सीखेगा कि सच बोलना सामान्य है। सजा की बजाय कंसिक्वेंस समझाएं बच्ची के झूठ बोलने पर उसे समझाएं कि "झूठ बोलने से ट्रस्ट टूटता है और अगली बार मैं तुम्हारी बात पर यकीन कैसे करूं?" लेकिन सजा न दें क्योंकि इससे डर बढ़ेगा। इसके बजाय अगर खिलौना तोड़ा है तो साथ में साफ करने को कहें। इससे वह जिम्मेदारी सीखेगी। घर का माहौल हेल्दी बनाएं अगर परिवार में ट्रस्ट और ओपन कम्युनिकेशन है तो बच्चा झूठ कम बोलेगा। रोजाना फैमिली टाइम रखें, जहां सब अपनी बातें शेयर करें। इससे वह देखेगी कि सच बोलना घर की संस्कृति है। साथ ही उसकी उम्र को ध्यान में रखें। 5 साल में बच्चे अभी नैतिकता सीख रहे होते हैं, इसलिए धैर्य रखें। बदलाव रातोंरात नहीं आएगा, लेकिन लगातार प्रयास से 2-3 महीनों में फर्क दिखेगा। पेरेंट्स न करें ये गलतियां हर बच्चा सच बोलना चाहता है, लेकिन जब घर में डर, गुस्सा या सजा का माहौल होता है तो सच दब जाता है। अगर हम उनके डर को पहचानें और भरोसे से बात करें तो बच्चा खुलकर अपने दिल की बात कहने लगेगा। याद रखें कि झूठ पकड़ने से ज्यादा जरूरी है सच सुनने की हिम्मत देना। कई बार माता-पिता अनजाने में ऐसे रिएक्शन दे देते हैं, जो बच्चे को झूठ की तरफ धकेलते हैं। इसलिए पेरेंट्स को कुछ गलतियों से बचना चाहिए। याद रखें कि बच्चों में सच बोलने की आदत एक दिन में विकसित नहीं होती है। यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। आपके धैर्य, प्यार और स्थिर मार्गदर्शन से आपकी बेटी निश्चित रूप से सच की अहमियत समझेगी और इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएगी। अंत में यही कहूंगी कि आपकी बेटी अभी छोटी है और यह फेज गुजर जाएगा अगर आप प्यार, धैर्य और सही अप्रोच से हैंडल करें। याद रखें कि पेरेंटिंग में बदलाव खुद से शुरू होता है। आप ट्रस्ट का माहौल बनाएं और देखिए कैसे वह सच बोलने की आदत अपना लेगी। अगर जरूरत लगे तो किसी चाइल्ड काउंसलर से बात करें। आप अच्छी पेरेंट हैं, जो समय पर इस पर ध्यान दे रही हैं। .................... पेरेंटिंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए पेरेंटिंग- 5 साल का बेटा रात में सोता नहीं: 12 बजे तक जागता रहता है, दिख रही थकान, चिड़चिड़ाहट, उसका स्लीप साइकल कैसे सुधारें इस उम्र में बच्चे फिजिकली और मेंटली दोनों रूप से बहुत तेजी से ग्रोथ कर रहा होते हैं। पर्याप्त नींद न मिलने से बच्चे के मूड, अटेंशन और इम्यून सिस्टम पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। इस समस्या के समाधान को जानने से पहले इसके कारणों को आइडेंटिफाई करें। पूरी खबर पढ़िए...