किताब का नाम- खुश मन के संस्कार (‘रिचुअल्स ऑफ ए हैप्पी सोल’ का हिंदी अनुवाद) लेखक- दीपांशु गिरी अनुवाद- यामिनी रामपल्लीवार प्रकाशक- पेंगुइन मूल्य- 275 रुपए क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोगों को हर चीज आसानी से क्यों मिल जाती है, जबकि कुछ लोग जी-जान लगाकर भी संघर्ष करते रहते हैं? लेखक दीपांशु गिरी की किताब ‘खुश मन के संस्कार’ इन्हीं सवालों का जवाब देती है। यह किताब सेल्फ-डेवलपमेंट, ज्योतिष और लॉ ऑफ अट्रैक्शन यानी आकर्षण के सिद्धांत का अद्भुत मिश्रण है। लेखक कहते हैं कि हमारा मन और ब्रह्मांड लगातार संवाद में रहते हैं, बस हमें उस संवाद को सुनने और समझने की क्षमता विकसित करनी होती है। जब हम सही ऊर्जा के साथ जीना सीख जाते हैं तो खुशियां और सफलता अपने आप मिलने लगती हैं। दीपांशु गिरी कोई साधु नहीं हैं। वे एक इंजीनियर हैं, जिन्होंने 'अंडरवॉटर रोबोटिक्स' से करियर की शुरुआत की और फिर ब्रह्मांड की ऊर्जा का अध्ययन किया। उनकी यह किताब आधुनिक सोच और प्राचीन ज्ञान का सुंदर संगम है। किताब का मूल संदेश है, “आपके भीतर ही वह शक्ति है, जो पूरी सृष्टि को आकर्षित कर सकती है।” दीपांशु बताते हैं कि खुशी और सफलता के पीछे कोई रहस्यमय किस्मत नहीं, बल्कि हमारे विचारों की ऊर्जा होती है। जब हम अपने विचारों, शब्दों और कर्मों को एक सकारात्मक लय में ढालते हैं तो पूरा ब्रह्मांड हमारे साथ काम करने लगता है। किताब में लेखक ने बताया है कि रिचुअल्स यानी संस्कार और अभ्यास ही वह पुल हैं, जो हमें इस ब्रह्मांड की ऊर्जा से जोड़ते हैं। लेखक का परिचय किताब के लेखक दीपांशु गिरी का बैकग्राउंड बेहद दिलचस्प है। वे पेशे से एक इंजीनियर हैं और ‘अंडरवाटर रोबोटिक्स’ की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम हैं। 2017-18 में उन्होंने ज्योतिष के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए प्रोफेशनल करियर से ब्रेक लिया। दीपांशु का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ है। इनकी पिछली सात पीढ़ियां ज्योतिष और आयुर्वेद के क्षेत्र में हैं। साल 2018 में उन्होंने अपने शोध और ज्ञान को अन्य ज्योतिष प्रेमियों के साथ साझा करने के लिए ‘लूनर एस्ट्रो वैदिक अकादमी’ की शुरुआत की। ज्योतिष के प्रति उनके तार्किक दृष्टिकोण ने बहुत कम समय में दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित किया है। किताब का सार 'खुश मन के संस्कार' का मूल मंत्र यह है कि हम निष्क्रिय प्राणी नहीं हैं, बल्कि हम अपने जीवन को सक्रिय रूप से बदल सकते हैं। लेखक शुरू में ही स्पष्ट कर देते हैं कि यह किताब आपको बुद्ध की तरह शांत होकर सब कुछ त्यागने को नहीं कहती, बल्कि यह आपको अपने भीतर छिपी उस जादुई शक्ति को पहचानने में मदद करती है, जिस पर हमने विश्वास करना छोड़ दिया है। लेखक का मानना है कि हमारे दिमाग को हमारी क्षमताओं को सीमित करने के लिए प्रोग्राम कर दिया गया है, जिससे हम अपनी वास्तविक शक्ति को भूल गए हैं। यह किताब उस प्रोग्रामिंग को तोड़ने और अपनी वास्तविक शक्ति को पहचानने का एक मैनुअल है। यह बताती है कि कैसे कुछ खास 'रिचुअल्स' (जो किसी धर्म से नहीं बंधे हैं) अपनाकर हम ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ तालमेल बिठा सकते हैं। यह किताब कई अनूठे विचारों और तकनीकों पर आधारित है। आइए इसके मुख्य विषयों को समझते हैं। ऊर्जा और ब्रह्मांड से संवाद लेखक के अनुसार, हमारा शरीर एक एनर्जी-मशीन है और ब्रह्मांड ऊर्जा का महासागर। जब दोनों एक ही लय में होते हैं तो चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं। किताब का मुख्य फोकस एनर्जी और ब्रह्मांड के साथ हमारे संवाद पर है। दीपांशु हमें सिखाते हैं कि हम ब्रह्मांड से ऊर्जा कैसे प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने के लिए इसका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं। किताब में इन युक्तियों और रहस्यों को ‘रिचुअल्स’ (संस्कार) कहा गया है। इसमें ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए ‘अपवर्ड’ (ऊपर की ओर) और ‘डाउनवर्ड’ (नीचे की ओर) त्रिकोण की अवधारणा जैसी कई अनूठी और पहले न सुनी गई तकनीकें बताई गई हैं। यंत्र, मंत्र और राग यह किताब उन प्राचीन भारतीय परंपराओं और रहस्यों पर से पर्दा हटाती है, जिन्हें हम आधुनिक जीवन में भूल गए हैं या अंधविश्वास मान लेते हैं। लेखक यंत्रों की शक्ति और ब्रह्मांड के साथ खुद को सिंक करने के तरीकों पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चर्चा करते हैं। किताब में यह भी बताया गया है कि कैसे संगीत के 'राग' और उन्हें सुनने का सही समय हमारे मन और ऊर्जा पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। यह हमें यह महसूस कराता है कि हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई परंपराएं वास्तव में ब्रह्मांड के गहरे रहस्य हैं, जिन्हें हम बेकार समझकर भूल गए थे। 'लॉ ऑफ अट्रैक्शन' का इस्तेमाल किताब बताती है कि 'लॉ ऑफ अट्रैक्शन' सिर्फ अच्छा सोचने से काम नहीं करता है। इसके लिए ज्योतिषीय समझ और सही 'रिचुअल्स' की जरूरत होती है। लेखक सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास करने के महत्व पर जोर देते हैं। यह किताब हमें सिखाती है कि हम अपने आसपास की हर चीज के लिए आभार कैसे व्यक्त करें और अपनी ऊर्जा को अपने लक्ष्यों के अनुरूप कैसे ढालें। रिचुअल्स: आत्म-परिवर्तन की तकनीकें किताब में कई रिचुअल्स यानी व्यावहारिक अभ्यास दिए गए हैं। जैसे रोज कुछ मिनटों तक चांदनी में ध्यान करना, जल तत्व के साथ संवाद करना या हर दिन कुछ क्षण कृतज्ञता की शांति में बैठना। लेखक इन्हें ऊर्जा अभ्यास कहते हैं, जिनसे व्यक्ति के भीतर सकारात्मक तरंगें एक्टिव होती हैं। इन रिचुअल्स का मकसद कोई धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि मन की तरंगों को पुनः संतुलित करना है। यह किताब क्यों पढ़नी चाहिए? 'खुश मन के संस्कार' उन लोगों के लिए है, जो अपने जीवन को लेकर महत्वाकांक्षी हैं और हमेशा पॉजिटिव चाहते हैं। अगर आप ब्रह्मांड से ऊर्जा प्राप्त करना और अपने भाग्य को बदलना सीखना चाहते हैं तो यह किताब आपके लिए है। यह आपको ज्योतिष और ऊर्जा के उन रहस्यों से परिचित कराती है जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे। अगर आप सेल्फ-हेल्प किताबों से आगे कुछ खोजना चाहते हैं तो यह किताब एक नई राह दिखा सकती है। किताब के बारे में मेरी राय 'खुश मन के संस्कार' एक आम नॉन-फिक्शन किताब नहीं है। इसे पढ़ते हुए आप लेखक द्वारा बताई गई कई बातों, जैसे यंत्रों की शक्ति या ब्रह्मांड के साथ तालमेल बिठाने के तरीकों से चौंक सकते हैं। हो सकता है कि आप शुरू में इस पर विश्वास न करें, लेकिन जब आप इसमें दिए गए कुछ उपायों (जैसे 'राग' सुनना) का पालन करना शुरू करते हैं, तो आप खुद को जीवन की नीरसता से ऊपर उठता हुआ महसूस करते हैं। यह किताब आपको वह 'जादू' महसूस कराती है, जिस पर हमने विश्वास करना छोड़ दिया है। लेखक की भाषा सरल और सीधी है, जिसमें कोई भ्रम या भारी-भरकम शब्दावली नहीं है। हालांकि कुछ पाठकों को यह एक बार में पढ़ने पर थोड़ी नीरस लग सकती है, इसलिए इसे धीरे-धीरे एक दिन में कुछ पन्ने पढ़कर समझना बेहतर है। साथ ही कुछ लोगों को आत्माओं और जादू जैसे विषय थोड़े विचलित करने वाले भी लग सकते हैं, लेकिन अगर आप एक खुले दिमाग से इसे पढ़ते हैं तो यह किताब आपके सोचने का नजरिया बदल सकती है। किताब यह विश्वास दिलाती है कि आपका भाग्य आपके हाथ में है, बस आपको सही 'रिचुअल्स' जानने की जरूरत है। .................... ये बुक रिव्यू भी पढ़िए बुक रिव्यू- अच्छा लेखक कैसे बनें?: उम्दा लिखने के लिए सबसे जरूरी हैं ये 6 गुण, रस्किन बॉन्ड से जानिए कैसे करें लेखन की शुरुआत यह किताब लेखन के तौर-तरीकों के बारे में बात करती है, खासतौर से उन लोगों के लिए जो लेखन शुरू करना चाहते हैं या पहले से बेहतर लिखने के लिए प्रयासरत हैं। पूरी खबर पढ़िए...