जरूरत की खबर- लखनऊ में डॉग ओनर्स पर जुर्माना:घर में पेट है तो लाइसेंस बनवाना जरूरी, लगेंगे ये डॉक्यूमेंट्स, जानें पूरा प्रोसेस

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हाल ही में लखनऊ नगर निगम की टीम ने बिना लाइसेंस के कुत्ता पालने वालों पर कार्रवाई करते हुए 24 हजार रुपए का जुर्माना वसूला। टीम ने शहर के कुछ इलाकों में घर-घर जाकर पालतू कुत्तों के लाइसेंस की जांच की। इस दौरान उनके साथ प्रवर्तन दल, डॉग कैचिंग स्क्वॉड और नगर निगम कर्मी मौजूद रहे। बता दें कि भारत के कुछ शहरों में पालतू जानवरों (खासकर डॉग के लिए) के लिए लाइसेंस बनवाना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। यह सिर्फ एक कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार पेट ओनर होने का दायित्व भी है। ऑनलाइन डॉग मैगजीन-वेबसाइट ‘डॉगस्टर’ और स्टेटिस्टा के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में भारत में करीब 3.1 करोड़ पालतू कुत्ते और 24.4 लाख पालतू बिल्लियां थीं। देश में लगभग 63% पेट ओनर्स के पास डॉग हैं, जबकि 42% के पास कैट्स। अनुमान के मुताबिक, साल 2026 तक भारत में पालतू कुत्तों की संख्या बढ़कर लगभग 4.39 करोड़ और बिल्लियों की संख्या लगभग 48.9 लाख तक पहुंच सकती है। ऐसे में पेट लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया के बारे में जानना बेहद जरूरी है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम पेट लाइसेंस बनवाने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. अभिनव वर्मा, एनिमल वेलफेयर ऑफिसर, नगर निगम, लखनऊ सवाल- पेट लाइसेंस बनवाना क्यों जरूरी है? जवाब- यह लाइसेंस पेट की कानूनी पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इससे नगर निगम के रिकॉर्ड में आपके पेट की सही जानकारी दर्ज रहती है, जिससे उसके टीकाकरण, स्वास्थ्य और कानूनी अनुपालन पर निगरानी रखना आसान होता है। अगर कभी आपका पेट खो जाए तो लाइसेंस में दर्ज ID की मदद से उसे जल्दी ढूंढा जा सकता है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई और लखनऊ जैसे शहरों व कई अन्य नगर निगम में पेट लाइसेंस बनवाना कानूनन अनिवार्य है। यहां लाइसेंस न होने पर जुर्माना लग सकता है। कुछ मामलों में पालतू जानवर को जब्त भी किया जा सकता है। हालांकि नियम शहर के अनुसार थोड़े अलग हो सकते हैं। सवाल- कौन-कौन से पालतू जानवरों का लाइसेंस बनता है? जवाब- यह नियम मुख्य रूप से कुत्तों के लिए सख्ती से लागू होता है। बिल्लियों के लिए लाइसेंस बनवाने का नियम अभी भारत में आम नहीं है, लेकिन कुछ नगर निगम (जैसे लखनऊ) ने बिल्लियों के लिए भी लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। सवाल- क्या लाइसेंस बनवाने के लिए पेट्स की उम्र की कोई सीमा निर्धारित है? जवाब- एनिमल वेलफेयर ऑफिसर डॉ. अभिनव वर्मा बताते हैं कि लाइसेंस बनवाने के लिए कोई निश्चित उम्र सीमा नहीं है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी शर्त रेबीज का टीकाकरण है। आमतौर पर पपी को रेबीज का पहला टीका 3 महीने की उम्र के बाद लगता है। आप अपने कुत्ते का पहला रेबीज टीकाकरण करवाते ही लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। सवाल- पेट लाइसेंस बनवाने के लिए कौन-से डॉक्यूमेंट्स चाहिए होते हैं? जवाब- पेट लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय कुछ डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- पेट लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया क्या है? जवाब- डॉ. अभिनव वर्मा बताते हैं कि नगर निगम कार्यालय, ऑफिशियल वेबसाइट या कुछ निर्धारित पेट क्लीनिक से ये लाइसेंस बनवाया जा सकता है। नीचे दिए ग्राफिक से इसके ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रोसेस को समझिए- सवाल- क्या पेट लाइसेंस हर साल रिन्यू कराना पड़ता है? जवाब- हां, पालतू जानवरों का लाइसेंस एक साल की अवधि के लिए वैध होता है। इसे हर साल रिन्यू कराना पड़ता है। रिन्यूअल के समय आपको यह सबूत देना होता है कि आपके कुत्ते को रेबीज का सालाना बूस्टर शॉट लग चुका है। सवाल- पेट लाइसेंस की फीस कितनी होती है? जवाब- इसकी फीस हर शहर में अलग-अलग हो सकती है। यह कुत्ते के नस्ल पर निर्भर करता है। आमतौर यह फीस 200 रुपए से लेकर 1000 रुपए प्रति वर्ष तक है। अगर कुत्ते की नसबंदी हो चुकी है तो कुछ नगर निगम रिन्यूअल फीस में छूट भी देते हैं। सवाल- अगर कुत्ता या बिल्ली खो जाए तो लाइसेंस उसे ढूंढने में कैसे मदद करता है? जवाब- यह लाइसेंस का सबसे बड़ा फायदा है। लाइसेंस मिलने पर आपके पेट को एक मेटल टैग या टोकन नंबर मिलता है, जिसे उसके कॉलर पर लगाना अनिवार्य होता है। अगर आपका कुत्ता खो जाता है और वह किसी को मिलता है तो वे उस टैग नंबर से नगर निगम के रिकॉर्ड में आपका पता और फोन नंबर आसानी से ट्रेस कर सकते हैं। इससे आपके पेट के सुरक्षित घर वापस आने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। सवाल- किन स्थितियों में लाइसेंस रद्द किया जा सकता है? जवाब- डॉ. अभिनव वर्मा बताते हैं कि कुछ मामलों में नगर निगम द्वारा लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- क्या दूसरी सिटी में शिफ्ट होने पर लाइसेंस ट्रांसफर हो सकता है? जवाब- नहीं, लाइसेंस आमतौर पर सिटी स्पेसफिक होते हैं। अगर आप एक शहर से दूसरे शहर में स्थायी रूप से शिफ्ट होते हैं तो अपने नए शहर के नगर निगम में नया लाइसेंस बनवाना होगा। इसके लिए आपको नए पते का प्रमाण और अपने कुत्ते के वैक्सिनेशन रिकॉर्ड जमा करने होंगे। ....................... जरूरत की ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- लाल-किला ब्लास्ट में यूज हुई पुरानी कार: ओल्ड कार खरीदते हुए जांचें 8 डॉक्यूमेंट्स, बेचते हुए रखें 11 सावधानियां कई बार लोग गाड़ी बेचने के बाद यह सोचकर निश्चिंत हो जाते हैं कि अब उससे उनका कोई संबंध नहीं है, लेकिन अगर ट्रांसफर की प्रक्रिया अधूरी रह जाए तो भविष्य में किसी दुर्घटना, अपराध या ट्रैफिक उल्लंघन की स्थिति में पुराने मालिक के सिर पर परेशानी आ सकती है। पूरी खबर पढ़िए...