प्रशांत किशोर ने लंबी पद यात्रा की, घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क साधा, प्रचार प्रसार के आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया लेकिन उनकी पार्टी खाता तक नहीं खोल सकी. आख़िर ऐसा क्यों हुआ?