हमने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जो किसी भी मौसम में अक्सर वायरल संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। पहले जहां मौसम बदलने पर सिर्फ सर्दी-जुकाम या फ्लू जैसी समस्याओं पर ध्यान दिया जाता था। वहीं अब किसी भी मौसम में डेंगू, चिकनगुनिया, डायरिया, हेपेटाइटिस और अन्य वायरल बीमारियां तेजी से फैलती हैं। हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक नई स्टडी ने भारत में वायरल इन्फेक्शन के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता जताई है। स्टडी के मुताबिक, देश में हर 9 में से 1 व्यक्ति किसी-न-किसी इन्फेक्शियस डिजीज से पीड़ित पाया गया। यानी वायरल इन्फेक्शन अब एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम वायरल इन्फेक्शन के बारे में विस्तार से बात करेंगे साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. नरेंद्र कुमार सिंगला, प्रिंसिपल कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली सवाल- भारत में वायरल इन्फेक्शन के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? जवाब- इसके पीछे कोई एक नहीं, बल्कि कई कारण जिम्मेदार हैं। आइए इन्हें क्रम से समझते हैं। घनी आबादी भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या और भीड़भाड़ वायरस फैलने का सबसे बड़ा कारण है। शहरों में कम जगह में लाखों लोग रहते हैं, जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बाजार, ऑफिस और स्कूल में रोजाना हजारों लोगों का संपर्क वायरस को फैलने के लिए अनुकूल माहौल देता है। प्रदूषण और कमजोर इम्यूनिटी लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण हमारे फेफड़ों और इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। इससे शरीर की वायरस से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और बार-बार सर्दी, खांसी, बुखार जैसी समस्याएं होने लगती हैं। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहना शरीर को वायरल इन्फेक्शन के प्रति संवेदनशील बना देता है। मौसम और जलवायु परिवर्तन कभी तेज गर्मी, कभी अचानक बारिश और बढ़ती नमी वायरस के जीवित रहने और फैलने के लिए अनुकूल माहौल बनाती हैं। वहीं मानसून में मच्छरों की बढ़ती संख्या डेंगू, चिकनगुनिया और जीका जैसे संक्रमणों के मामलों को तेजी से बढ़ा देती है। कोविड-19 के बाद इम्यूनिटी में बदलाव कोरोना के बाद कई लोगों की इम्यूनिटी में असंतुलन देखा गया है। पोस्ट-कोविड प्रभावों के कारण शरीर कमजोर हो गया है, जिससे मामूली वायरस भी तेजी से असर दिखाते हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। गंदगी और खराब वेस्ट मैनेजमेंट कचरे और गंदे पानी का ठीक से निपटारा न होना संक्रमण फैलने का बड़ा कारण है। खुले में पड़ा कचरा, जाम नालियां और दूषित पानी मच्छरों और वायरस के लिए अनुकूल जगह बन जाते हैं, जिससे हेपेटाइटिस A, नोरोवायरस और डेंगू जैसे संक्रमण तेजी से फैलते हैं। खराब लाइफस्टाइल देर रात तक जागना, जंक फूड, कम नींद, तनाव, स्मोकिंग और ड्रिंकिंग जैसी आदतें इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती हैं। इसके कारण शरीर मामूली संक्रमणों से भी जल्दी प्रभावित हो जाता है। सवाल- ICMR की नई स्टडी इस बारे में क्या कहती है? जवाब- ICMR ने अपनी वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब्स (VRDL) नेटवर्क के डेटा में बताया है कि देश में हर नौवां व्यक्ति किसी-न-किसी संक्रमण से ग्रस्त है। जनवरी से जून 2025 के बीच संक्रमण दर 10.7% से बढ़कर 11.5% तक पहुंची है। यानी लोग अब हर मौसम में वायरल इन्फेक्शन से बीमार पड़ रहे हैं। स्टडी के मुताबिक, भारत में जिन वायरसों के संक्रमण सबसे अधिक पाए गए, उनमें इंफ्लुएंजा A, डेंगू, हेपेटाइटिस A, नोरोवायरस और हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस प्रमुख हैं। स्टडी में यह भी सामने आया कि शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण, भीड़भाड़, गंदा पानी और कमजोर इम्यूनिटी संक्रमण को तेजी से बढ़ा रहे हैं। ICMR ने चेतावनी दी है कि भारत को अब वायरल इन्फेक्शन को सालभर चलने वाली स्वास्थ्य चुनौती के रूप में देखना चाहिए। सवाल- भारत में किस तरह के वायरल इन्फेक्शन कॉमन हैं? जवाब- यहां वायरल इन्फेक्शन की एक लंबी सूची है, जो मौसम, पर्यावरण और लाइफस्टाइल के अनुसार बदलती रहती है। हालांकि कुछ संक्रमण ऐसे हैं, जो हर साल बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करते हैं। इन्हें नीचे दिए गए ग्राफिक से समझिए- सवाल- वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन में क्या फर्क है? जवाब- दोनों ही शरीर में संक्रमण पैदा करते हैं, लेकिन इनके कारण, लक्षण और इलाज एक-दूसरे से अलग होते हैं। इसे नीचे दिए पॉइंट्स से समझिए- वायरल इन्फेक्शन बैक्टीरियल इन्फेक्शन सवाल- क्या मौसम बदलने पर वायरल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है? जवाब- हां, दरअसल तापमान में अचानक बदलाव वायरस के फैलने के लिए अनुकूल माहौल बनाती हैं। इस दौरान इम्यूनिटी भी अस्थायी रूप से कमजोर हो जाती है।, जिससे शरीर संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। इसलिए सर्दी, खांसी, बुखार, फ्लू और पेट के इन्फेक्शन इस समय ज्यादा देखे जाते हैं। सवाल- वायरल इन्फेक्शन से जुड़े शुरुआती लक्षण क्या हैं? जवाब- इसके शुरुआती लक्षण कई बार सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लगते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये बढ़कर पूरे शरीर को प्रभावित कर सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- किन लोगों को वायरल इन्फेक्शन का रिस्क ज्यादा होता है? जवाब- वायरल इन्फेक्शन किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा दूसरों की तुलना में कहीं ज्यादा होता है। जैसेकि- सवाल- वायरल इन्फेक्शन से बचने के लिए किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए? जवाब- इसके लिए कुछ बेसिक सावधानियां अपनाना बहुत जरूरी है। ये न केवल खुद को बल्कि परिवार और आसपास के लोगों को भी संक्रमण से बचाती हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- वायरल इन्फेक्शन हो गया है तो क्या करें? जवाब- ज्यादातर मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि सही देखभाल और सावधानियां अपनाने से आराम जल्दी मिलता है और संक्रमण दूसरों तक नहीं फैलता है। इसके लिए कुछ बातों का विशेष ख्याल रखें। जैसेकि- सवाल- क्या हर वायरल इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक दवा लेना सही है? दवा कब लेनी चाहिए? जवाब- डॉ. नरेंद्र कुमार सिंगला बताते हैं कि नहीं, एंटीबायोटिक दवाएं केवल बैक्टीरियल इन्फेक्शन को ही खत्म करती हैं, जबकि वायरल इन्फेक्शन में वायरस खुद शरीर की इम्यूनिटी से लड़कर ठीक हो जाते हैं। हालांकि कुछ मामलों में दवाओं की जरूरत होती है। ...................... जरूरत की ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- क्या डॉक्टर ने कहा, आप प्री-डायबिटिक हैं: 20 दिन में शुगर होगी रिवर्स, अगर फॉलो करेंगे ये 20 हेल्थ रूल इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एक सर्वे के मुताबिक, देश में 13.6 करोड़ लोग (कुल आबादी का 15.3%) प्री-डायबिटिक हैं। यानी ऐसे लोग, जिनमें डायबिटीज के शुरुआत लक्षण दिखने लगे हैं। अगर ये लोग समय रहते सचेत नहीं हुए तो इनमें से 60% लोग अगले 5 सालों में डायबिटिक हो जाएंगे। पूरी खबर पढ़िए...