याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह व परमानंद साहू ने बताया कि राज्य स्तरीय उच्च-शक्ति समीक्षा समिति ने पांच अगस्त, 2025 के अपने आदेश में केवल इस आधार पर उनके जनजाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया कि उनके पिता का जन्म बिहार में हुआ था।