घर की लाइटिंग सिर्फ रोशनी देने का काम नहीं करती है, बल्कि आपके मूड, सेहत और काम करने की क्वालिटी पर भी असर डालती है। आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ बल्ब पीली रोशनी देते हैं और कुछ सफेद। इन्हें ही वॉर्म और कूल लाइट कहा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों का इस्तेमाल हर जगह एक जैसा नहीं होना चाहिए? अगर सही जगह पर सही लाइट न लगाई जाए, तो आंखों पर जोर पड़ सकता है या काम में मन नहीं लगेगा। वहीं, सही लाइट का चुनाव करने से न सिर्फ आपका कमरा खूबसूरत दिखेगा, बल्कि मानसिक रूप से भी आराम मिलेगा। आज हम जरूरत की खबर कॉलम में इसी बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि- सवाल- वॉर्म लाइट क्या है? जवाब- वॉर्म व्हाइट और कूल व्हाइट लाइट के बीच का सबसे बड़ा फर्क होता है इनकी कलर टेम्परेचर यानी रंग तापमान। वॉर्म व्हाइट लाइट हल्की पीली या सुनहरी रोशनी देती है, जो देखने में काफी नेचुरल और सुकून भरी लगती है। यह लाइट आमतौर पर सूरज की ढलती रोशनी जैसी लगती है। इसे समझने के लिए केल्विन स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। वॉर्म लाइट आमतौर पर 2700 से 3000 केल्विन (K) के बीच होती है। वॉर्म व्हाइट LED लाइट घर के लिए बेहतर मानी जाती है क्योंकि यह पारंपरिक टंगस्टन बल्ब जैसी रोशनी देती है। यह लिविंग रूम और बेडरूम जैसे स्थानों पर एक सुकून भरा माहौल बनाती है। सवाल- कूल लाइट क्या होती है? जवाब- वॉर्म लाइट के मुकाबले कूल व्हाइट लाइट थोड़ी कृत्रिम लगती है और इसमें हल्की नीली झलक होती है। केल्विन स्केल के अनुसार, इसका तापमान 4000K से अधिक होता है। कूल व्हाइट लाइट साफ-सुथरा और तेज असर देती है, इसलिए यह ऑफिस, स्टडी रूम या किचन जैसे आधुनिक वर्कस्पेस के लिए बेहतर मानी जाती है। LED लाइट्स का सबसे बड़ा फायदा यही है कि आप अपनी जरूरत और पसंद के अनुसार इनका कलर टेंपरेचर चुन सकते हैं। अगर आपको काम पर ध्यान केंद्रित करना है या फ्रेश माहौल चाहिए, तो कूल व्हाइट लाइट का चुनाव करना अच्छा विकल्प हो सकता है। सवाल- इन लाइट्स का हमारे मूड पर क्या असर पड़ता है? जवाब- LED मूड लाइटिंग का हमारे मूड पर सीधा असर पड़ता है। जैसे ही हम अपने आसपास की रोशनी को बदलते हैं, वैसे ही हमारा मन भी उस माहौल के अनुसार ढलने लगता है। अगर आप थकान भरे दिन के बाद सुकून पाना चाहते हैं, तो हल्की वॉर्म लाइट से आप रिलैक्स महसूस कर सकते हैं। वहीं अगर एनर्जी चाहिए, जैसे कि वर्क टाइम हो या पार्टी का माहौल, तो थोड़ी तेज या रंगीन रोशनी आपका मूड फ्रेश और एक्टिव बना सकती है। LED मूड लाइटिंग आपको यही विकल्प देती है कि आप अपने मूड और जरूरत के हिसाब से रोशनी को बदल सकें, ताकि माहौल और मन – दोनों में तालमेल बना रहे। इस तरह रोशनी केवल देखने भर की चीज़ नहीं रह जाती, बल्कि यह आपकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण साधन बन जाती है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं कि कौन-सी लाइट कहां बेहतर होती है। सवाल- इन लाइट्स का हमारे मूड पर क्या असर पड़ता है? जवाब- अलग-अलग तरह की लाइट्स हमारे मूड पर अलग-अलग असर डालती हैं। हम इंसान सूरज की रोशनी यानी पीली (वॉर्म लाइट) के आदी होते हैं। ऐसे में हमें इन लाइट्स में ज्यादा सुकून मिलता है। आइए इनके असर को ग्राफिक के जरिए समझते हैं। सवाल- क्या लाइटिंग से सिरदर्द या थकान हो सकती है? गलत रोशनी के इस्तेमाल से शरीर पर क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं? जवाब- गलत रोशनी का इस्तेमाल आपके शरीर और दिमाग दोनों पर नकारात्मक असर डाल सकता है। अगर किसी कमरे में जरूरत से ज्यादा तेज या बहुत हल्की रोशनी हो, या फिर लाइट का रंग (टेम्परेचर) आंखों के लिए असहज हो, तो इससे आंखों में जलन, थकान और सिरदर्द की समस्या हो सकती है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। सवाल- आपके लिए इनमें से कौन-सी लाइट बेहतर है? जवाब- यह पूरी तरह आपकी पर्सनल पसंद पर निर्भर करता है। अगर आपको पारंपरिक हल्की पीली रोशनी पसंद है, जो सुकून देती है, तो वॉर्म व्हाइट लाइट (2700K–3000K) आपके लिए सही विकल्प हो सकती है। यह घरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली लाइट होती है। वहीं, अगर आप मॉडर्न, क्लीन और चमकदार लुक चाहते हैं, तो कूल व्हाइट (4000K–5000K) या डे लाइट (5000K–6500K) लाइट ज्यादा उपयुक्त रहेगी। यह लाइट आंखों को ज्यादा स्पष्ट दिखाई देती है और एनर्जी का एहसास कराती है। हालांकि आमतौर पर गर्म देशों जैसे भारत में लोग सफेद या कूल टोन की लाइट पसंद करते हैं, जबकि ठंडे देशों में वॉर्म लाइट ज्यादा लोकप्रिय होती है। अगर बात ऑफिस या किसी कमर्शियल जगह की हो, तो वहां सही लाइटिंग से काम करने वालों की प्रोडक्टिविटी और मूड पर सीधा असर पड़ता है। ऐसे में कूल व्हाइट या डे लाइट फायदेमंद रहती है। आप चाहें तो अपने घर या ऑफिस में दोनों तरह की लाइटों का संतुलित इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि बहुत गर्म और बहुत ठंडी रोशनी एक साथ न लगाएं क्योंकि इससे आंखों को तकलीफ हो सकता है। अगर आप तय नहीं कर पा रहे कि कौन-सी लाइट लें, तो मल्टीकलर लाइट ले सकते हैं। इसमें आप एक स्विच से वॉर्म, न्यूट्रल और कूल तीनों तरह की रोशनी को पा सकते हैं। …… जरूरत की ये खबर भी पढ़ें जरूरत की खबर- स्मार्टफोन सुन रहा है आपकी हर बात: अपने पर्सनल डेटा और प्राइवेसी को कैसे रखें सुरक्षित, फोन में ऑफ करें ये फीचर जरा सोचिए, आप अपने दोस्त के साथ बैठे हैं और एसी, फ्रिज या ब्रांडेड कपड़े खरीदने की कैजुअली बात कर रहे हैं। थोड़ी ही देर में आपके स्मार्टफोन पर इन्हीं चीजों के विज्ञापन दिखने लगते हैं। आप हैरान हो जाते हैं, न आपने सर्च किया, न कोई वेबसाइट देखी फिर अचानक ये एडवर्टाइजमेंट कैसे आने लगे? पूरी खबर पढ़ें