आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ओक्युलोमिक्स जैसी तकनीकें रेटिना इमेजिंग से डायबिटीज, हार्ट, किडनी रोग की पहचान आसान बना रही हैं, लेकिन डेटा और पारदर्शिता चुनौतियां बनी हुई हैं.