राजू श्रीवास्तव भारत के सबसे मशहूर कॉमेडियन्स में से एक थे. उनके जोक्स और बनाए गए किरदार इतने हिट हुए कि आज भी लोग उन्हें भूल नहीं पाए हैं. उनकी कॉमिक टाइमिंग और मस्ती भरे अंदाज ने दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर दिया. आम आदमी से जुड़े उनके किरदार गजोधर भैया, जीजा, और फूफा-हर एक में उन्होंने जान डाल दी. अब कॉमेडियन हमारे बीच नहीं हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जानें ये रोचक किस्सा. हर उम्र के दर्शकों के फेवरेट थे राजू श्रीवास्तव गजोधर भैया वाला किरदार ऐसा हिट हुआ कि यह राजू श्रीवास्तव की पहचान बन गया. उनके कई चुटकुले ऐसे थे कि उन पर सोशल मीडिया पर खूब मीम्स भी बने.25 दिसंबर 1963 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे राजू श्रीवास्तव कॉमेडी की दुनिया में एक ऐसा नाम बन गए, जिसने हंसी को भारतीय घरों का हिस्सा बना दो.वो भारतीय कॉमेडी जगत के अजेय सितारे थे, जिनकी अदाकारी और हास्य कला ने लोगों के दिलों में हमेशा के लिए जगह बना ली. 90 और 2000 के दशक में टीवी शो और अन्य कार्यक्रमों में उनके हिट परफॉर्मेंस ने राजू श्रीवास्तव को पूरे देश में लोकप्रिय बना दिया. उनकी कॉमिक टाइमिंग, चेहरे के हाव-भाव और सीधे दिल तक पहुंचने वाली पंचलाइन ने उन्हें हर उम्र के दर्शकों का पसंदीदा बना दिया. अमिताभ बच्चन की मिमिक्री को बनाया कमाई का जरिया राजू श्रीवास्तव कई बार बता चुके हैं कि वे अभिनेता अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े फैन हैं. बचपन में वो घरवालों से छुपकर उनकी फिल्में स्कूल से भागकर देखने जाते थे. वह बचपन से ही अमिताभ की मिमिक्री करते आ रहे हैं. जब वह अपने छोटे से परिवार के साथ मुंबई में आए थे, तो उनके पास न कोई बड़ा काम था और न ही कोई सहारा.पेट पालने के लिए वह जो भी काम मिलता, कर लेते थे.उनकी सबसे बड़ी पूंजी थी उनकी कॉमेडी और उनकी मिमिक्री.राजू श्रीवास्तव की अमिताभ बच्चन की मिमिक्री इतनी सटीक थी कि लोग उन्हें सुनकर चौंक जाते थे. इसी हुनर को उन्होंने अपनी कमाई का जरिया बनाया और वह शादियों, पार्टियों और छोटे कार्यक्रमों में जाकर लोगों को हंसाते थे. वो मेहमानों को अमिताभ बच्चन की आवाज में बधाई देते थे और उनके मशहूर डायलॉग्स बोलते थे. इसके बदले में उन्हें जो भी पैसा मिलता, उससे ही उनका घर चलता था. कला के निरादर को ही बनाया प्रेरणा उनके जीवन का एक दिलचस्प किस्सा भी है जो राजू श्रीवास्तव के संघर्ष के दिनों से जुड़ा है. इसका जिक्र उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में किया था. राजू श्रीवास्तव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक बार एक शादी में उन्होंने पूरी रात अमिताभ बच्चन की आवाज में मिमिक्री की. वह पूरी रात मेहमानों को हंसाते रहे और उनका मनोरंजन करते रहे. लेकिन जब सुबह हुई और उन्हें उनकी मेहनत का पैसा दिया गया, तो वह सिर्फ 50 रुपए था.राजू के लिए यह सिर्फ एक छोटा-सा वेतन नहीं था, बल्कि उनकी कला का अनादर था. यह उनके लिए एक बहुत ही मुश्किल और निराशाजनक पल था. लेकिन, राजू ने हार नहीं मानी. उन्होंने इस अनुभव को अपनी प्रेरणा बनाया और अपने हुनर को निखारते रहे. आखिरकार उन्हें टीवी पर बड़ा ब्रेक मिला और वह घर-घर प्रसिद्ध हो गए.राजू श्रीवास्तव सिर्फ एक कॉमेडियन नहीं थे, बल्कि एक प्रेरणा भी थे, जिन्होंने साबित किया कि हास्य के माध्यम से भी जीवन में गहरी बातें कही जा सकती है.