फ्रांस में बजट कटौती को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ट्रेड यूनियनों ने गुरुवार को हड़ताल की अपील की थी, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। पेरिस, लियोन, नांतेस, मार्सिले, बोर्डो, टूलूज और कैएन जैसे शहरों में सड़कें जाम हो गईं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन प्रदर्शनों में 5 लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर उतरे, जबकि यूनियनों ने संख्या 10 लाख बताई है। 80,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए हैं और 141 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं हैं। कुछ जगहों पर पत्थरबाजी और आंसू गैस का इस्तेमाल हुआ, लेकिन ज्यादातर प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे। कई जगह स्कूली बच्चों ने भी हाईवे ब्लॉक किए। प्रदर्शन की 5 तस्वीरें... बजट कटौती के प्लान से भड़की जनता फ्रांस की सरकार ने 2026 के बजट में करीब 52 अरब डॉलर की कटौती का प्लान बनाया है। इसमें पेंशन फ्रीज करना, स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च कम करना, बेरोजगारी भत्ता घटना और दो राष्ट्रीय छुट्टियां हटाना शामिल है। सरकार का कहना है कि देश का घाटा यूरोपीय यूनियन के 3% मानक से दोगुना है, और कर्ज जीडीपी का 114% हो गया है। लेकिन लोग इसे अमीरों के लिए राहत और गरीबों पर बोझ मानते हैं। यूनियनों का कहना है कि अमीरों पर टैक्स बढ़ाओ। महंगाई से पहले ही जिंदगी मुश्किल हो गई। प्रदर्शन की प्रमुख 4 वजह सभी प्रमुख विपक्षी दलों का आंदोलन को समर्थन इन विरोध प्रदर्शनों को वामपंथी राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है। वामपंथी पार्टी फ्रांस अनबाउड ने अगस्त में ही इस आंदोलन का समर्थन किया था। अब इससे अन्य वामपंथी दल भी जुड़ गए। सोशलिस्ट पार्टी ने भी समर्थन आंदोलन को समर्थन दिया है। वहीं, न्यू पॉपुलर फ्रंट (NPF) और नेशनल रैली (RN) जैसे दल, जिन्होंने संसद में बजट के खिलाफ वोट देकर पिछली सरकार गिराई थी। वे दल भी यूनियनों के साथ सड़कों पर हैं, और अमीरों पर ज्यादा टैक्स की मांग कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों से क्या असर पड़ेगा? ये आंदोलन नई सरकार के लिए बड़ा खतरा हैं। प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को अब बजट पास करने में मुश्किल होगी। संसद बंटी हुई है और किसी के पास बहुमत नहीं है। प्रदर्शन से ट्रेन, बस, मेट्रो रुक गई है, स्कूल बंद करने पड़े हैं और बिजली उत्पादन 1.1 गीगावाट कम हुआ है। इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा और सरकार पर बजट बदलने का दबाव बढ़ेगा। मैक्रों की लोकप्रियता पहले ही कम है, इससे उसमें और गिरावट आ सकती है।