सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को 'पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन' करार दिया और कहा कि ये मामला ASI के अधीन आता है. अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि बगल में ही एक विशाल शिवलिंग है और अगर वो शैव धर्म का विरोधी नहीं है तो वहां पूजा कर सकता है.