महेश भट्ट को हिंदी सिनेमा में नई टैलेंट्स को तराशने के लिए जाना जाता है. हाल ही में बातचीत करते हुए महेश भट्ट ने बताया कि उन्होंने इस फिल्म के लिए सुहृता दास को क्यों चुना और किस तरह उनके कौशल को निखारा.महेश भट्ट ने दुर्गा पूजा में मिली खास महिलामहेश भट्ट ने बताया, 'वह कोलकाता से हैं, और 11 साल पहले दुर्गा पूजा फेस्टिवल के दौरान मेरी उनसे मुलाकात हुई थी. उन्होंने मुझे बताया कि यह एक अनोखा फेस्टिवल था जिसकी थीम महिलाओं से जुड़ी थी. उन्होंने मुझे बताया कि वह एक हेयरड्रेसर हैं. बेशक, वह शादीशुदा हैं और उनका एक अमीर पति और दो बच्चे हैं.वह एक अच्छी जिंदगी जी रही थीं, लेकिन उनके भीतर कुछ बेचैनी थी क्योंकि उनमें लिखने की ललक थी. उनका मानना है कि एक महिला को हाउसवाइफ होने के बावजूद काम करना चाहिए. उन्होंने बताया कि वह बाएं हाथ से बाल काटती हैं और दाएं हाथ से लिखती हैं. इसलिए मैं उनसे प्रभावित हो गया. यहीं से उनकी शुरुआत हुई."महेश भट्ट सुहृता दास की बेबाक राइटिंग स्किल से हुए प्रभावितमहेश भट्ट ने बताया कि फिर उन्होंने सुहृता दास को खुद के लिखे हुए कुछ सैंपल भेजने को कहा. दास की लेखनी की बेबाकी से वे बहुत प्रभावित हुए. तब महेश ने उनको एक सीन लिखने को कहा.महेश भट्ट आगे कहते हैं, "तब हम 'हमारी अधूरी कहानी' नाम की एक फिल्म बना रहे थे. मैं फिल्म के आखिर में एक ऐसा सीन चाहता था जहां विद्या बालन का रोल अपने पति से भिड़ जाता है. आखिरकार वह खुद के लिए खड़ी होती है और मुंहतोड़ जवाब देती है. मुझे वह सीन सबसे अनोखा लगा क्योंकि वह उसके जीवन से आया था."उन्होंने आगे बताया, "यह उसकी सच्चाई को दर्शाता है. इसलिए, मैंने कहा कि वह एक ऐसी इंसान है जो अपने जख्मों से उपजी कहानी लिखने में सक्षम है, अधिकतर लोगों के विपरीत जो यहां-वहां, हर जगह फिल्में देखकर इमैजिनेशन से कहानियां गढ़ते हैं. जल्द ही उसने एक प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया, मगर वह प्रोजेक्ट लाख कोशिशों के बावजूद फ्लोर पर नहीं आया."महेश भट्ट और सुहृता दास ने टीवी सीरियल 'नामकरण' में साथ काम किया. इसे बनाते समय सुहृता ने पहले ही कह दिया था कि "देखिए, मैं साहित्यिक बैकग्राउंड से आती हूं. मुझे सिनेमा में कैसे काम होता है इसके बारे में जादा जानकारी नहीं है."महेश भट्ट ने आगे कहा, "वह उलझन में थीं और कन्फ्यूज थीं क्योंकि सिनेमा में हम तस्वीरों और साउंड के माध्यम से लिखते हैं. यह साहित्यिक दुनिया से बिल्कुल अलग है. तो, वह एक खाली स्लेट की तरह बैठ गईं और कई बार उन्हें डर लगता था कि मुझे कुछ नहीं आता. मैंने कहा, 'कोई बात नहीं, हमें भी कुछ नहीं आता, हमने पढ़कर सीखा है. आप तैरकर तैरना सीखते हैं, आप लिखकर लिखना सीखते हैं."बता दें कि सुहृता दास की पहली फिल्म 'तू मेरी पूरी कहानी' 26 सितंबर को रिलीज होने वाली है.