हमने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जो जरा सा मौसम बदलते ही बीमार पड़ जाते हैं। कभी सर्दी-खांसी तो कभी बुखार जैसी बीमारियां उनका पीछा ही नहीं छोड़ती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल बार-बार बीमार पड़ने का सीधा संबंध हमारी खराब लाइफस्टाइल और कमजोर इम्यून सिस्टम से है। इसमें लंबे समय तक स्ट्रेस, क्रॉनिक डिजीज, मोटापा, स्मोकिंग, ड्रिंकिंग और आसपास का पर्यावरण समेत कई रिस्क फैक्टर भी शामिल हैं। तो चलिए, आज फिजिकल हेल्थ कॉलम में हम बार-बार बीमार होने के पीछे के मुख्य कारणों के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- बार-बार बीमार होने के मुख्य कारण इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। इनमें जेनेटिक्स, ज्यादा तनाव, कमजोर इम्यून सिस्टम, क्रॉनिक हेल्थ प्रॉब्लम्स, मोटापा, शराब का सेवन, आसपास का पर्यावरण समेत कई अन्य कारक शामिल हैं। अगर समय रहते इन कारणों की पहचान और इलाज न किया जाए तो ये आगे चलकर गंभीर बीमारियों का रूप ले सकते हैं। नीचे दिए ग्राफिक से बार-बार बीमार पड़ने के 10 मुख्य कारणों को समझिए- आइए, अब इन कारणों के बारे में थोड़ा विस्तार से बात करते हैं। स्ट्रेस और एंग्जाइटी लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने पर शरीर में कोर्टिसोल हाॅर्मोन का लेवल बढ़ जाता है। इसके कारण शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ता है और इम्यून सेल्स कमजोर हो जाते हैं, जिससे वायरस और बैक्टीरिया आसानी से शरीर पर हावी हो जाते हैं। मोटापा शरीर में चर्बी जमा होने पर साइटोकाइन (cytokines) प्रोटीन का लेवल बढ़ जाता है। यह प्रोटीन इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है और शरीर को एक तरह के क्रॉनिक इंफ्लेमेशन की स्थिति में डाल देता है। इससे संक्रमण, हार्ट डिजीज व हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। स्मोकिंग और ड्रिंकिंग सिगरेट का धुआं फेफड़ों और ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचाता है। वहीं अल्कोहल शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, जिससे शरीर बार-बार संक्रमण की चपेट में आ जाता है और रिकवरी की क्षमता भी धीमी हो जाती है। प्रदूषित पर्यावरण हवा में मौजूद प्रदूषण, धूल व जहरीले केमिकल्स फेफड़ों और इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देते हैं। लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने से रेस्पिरेटरी सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे एलर्जी, अस्थमा और अन्य संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। नींद की कमी नींद के दौरान शरीर हीलिंग की प्रक्रिया से गुजरता है। पर्याप्त नींद न लेने पर यह प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है, जिससे इम्यूनिटी कमजोर होती है और बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है। क्रॉनिक हेल्थ प्रॉब्लम्स डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, हार्ट डिजीज और एलर्जी जैसी बीमारियां शरीर के इम्यून सिस्टम पर सीधा असर डालती हैं। इससे शरीर आम इन्फेक्शन से भी मजबूती से नहीं लड़ पाता है। खराब खानपान जरूरी पोषक तत्वों जैसे विटामिन C, विटामिन D, जिंक, आयरन और प्रोटीन की कमी होने पर इम्यून सेल्स कमजोर हो जाते हैं। बार-बार फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड खाने से शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ता है और एंटीबॉडीज बनने की क्षमता घट जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। पर्सनल हाइजीन की कमी हाथ न धोना, गंदा खाना खाना और सफाई की अनदेखी करना बैक्टीरिया और वायरस को आसानी से शरीर में प्रवेश करने का मौका देता है। इससे पेट से जुड़ी समस्याएं, फ्लू और फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियां बार-बार होने लगती हैं और शरीर संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाता है। बढ़ती उम्र उम्र बढ़ने के साथ, खासकर 60 साल के बाद, शरीर की इम्यून सेल्स की कार्यक्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है। इस प्रक्रिया को इम्यूनोसिनेसेंस कहा जाता है, जिसके कारण बुजुर्गों में संक्रमण तेजी से फैलते हैं और किसी भी बीमारी से ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। जेनेटिक्स कई बार व्यक्ति की बार-बार बीमार पड़ने का मुख्य कारण परिवार से मिले जीन भी होते हैं। जेनेटिक फैक्टर्स इम्यून सिस्टम की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। कमजोर इम्यूनिटी बीमारी की मुख्य वजह डॉ. रोहित शर्मा बताते हैं कि कुल मिलाकर कमजोर इम्यूनिटी ही बीमारियों की सबसे मुख्य वजह है। लेकिन इसे मजबूत बनाना एक दिन का काम नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें सही खानपान, हेल्दी लाइफस्टाइल और मानसिक संतुलन की अहम भूमिका होती है। नीचे ग्राफिक में दिए कुछ आसान तरीकों को फॉलो करके इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है। बार-बार बीमार होने से जुड़े कुछ सवाल और जवाब सवाल- क्या बार-बार बीमार पड़ने के पीछे जेनेटिक्स की भी भूमिका होती है? जवाब- डॉ. रोहित शर्मा बताते हैं कि अगर परिवार में किसी को एलर्जी, अस्थमा या कमजोर इम्यूनिटी से जुड़ी समस्या है तो इसका रिस्क अगली पीढ़ी में भी बढ़ जाता है। जेनेटिक फैक्टर्स इम्यून सिस्टम की मजबूती या कमजोरी पर असर डालते हैं। सवाल- क्या मौसम बदलने पर बीमार होना सामान्य है? जवाब- हां, हल्का सर्दी-जुकाम मौसम बदलने पर आम है। लेकिन अगर हर बार मौसम बदलने पर तेज बुखार, गले में बार-बार गंभीर इन्फेक्शन या लंबे समय तक थकान महसूस हो तो यह कमजोर इम्यूनिटी या किसी छिपी हुई हेल्थ कंडीशन का संकेत हो सकता है। सवाल- क्या बार-बार बीमार होना किसी गंभीर बीमारी का संकेत है? जवाब- हां, बार-बार बीमार पड़ना डायबिटीज, थायरॉइड, एनीमिया या ऑटोइम्यून डिजीज जैसी स्थितियों का शुरुआती लक्षण हो सकता है। अगर लंबे समय तक लक्षण बने रहें तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। सवाल- क्या बच्चों और बजुर्गों का बार-बार बीमार होना सामान्य है? जवाब- छोटे बच्चों की इम्यूनिटी पूरी तरह से डेवलप नहीं हुई होती है। वहीं बुजुर्गों में उम्र बढ़ने के साथ इम्यून सिस्टम स्वाभाविक रूप से कमजोर पड़ने लगता है। इसलिए इन्हें हल्के संक्रमण या बार-बार सर्दी-जुकाम होना सामान्य है। लेकिन अगर बार-बार तेज बुखार आए, सीने में गंभीर इन्फेक्शन हो या रिकवरी में ज्यादा समय लगे तो डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। सवाल- क्या खराब खानपान भी बार-बार बीमार होने का कारण है? जवाब- हां, अनहेल्दी डाइट से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीन से भरपूर संतुलित डाइट लेने से शरीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता बनाए रखता है। सवाल- किस स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है? जवाब- अगर बुखार 3–4 दिन से ज्यादा बना रहे, सांस लेने में दिक्कत हो, लगातार थकान महसूस हो या बार-बार गंभीर इन्फेक्शन हो तो इसे नजरअंदाज न करें। तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। ...................... फिजिकल हेल्थ से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए फिजिकल हेल्थ- बार-बार पेशाब आना बीमारी का संकेत: ये 7 लक्षण दिखें तो न करें इग्नोर, डॉक्टर से जानें बचाव के लिए जरूरी सावधानियां अक्सर कुछ लोग बार-बार पेशाब आने की समस्या से परेशान रहते हैं। मेडिसिन की भाषा में इसे ‘फ्रीक्वेंट यूरिनेशन’ कहा जाता है। कई बार इसकी वजह सिर्फ ज्यादा पानी पीना या दवाओं का असर होता है। लेकिन अगर यह समस्या लगातार बनी रहे तो ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकती है। पूरी खबर पढ़िए...