सक्सेस मंत्रा- पैसे, प्रमोशन के रास्ते में दीवार है स्ट्रेस:सफलता चाहिए तो पहले स्ट्रेस मैनेज करना सीखें, बढ़ेगी प्रोडक्टिविटी

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हम सबकी जिंदगी में ऐसे दिन आते हैं जब सब कुछ सही चल रहा होता है, लेकिन अचानक एक छोटी सी बात भी उलझन में डाल देती है। बॉस का कोई मैसेज या ट्रैफिक जाम ही दिमाग को उलझा देता है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है, सिर भारी लगने लगता है और शाम तक थकान इतनी बढ़ जाती है कि बस बिस्तर पर लेट जाओ। बिस्तर पर जाओ तो नींद नहीं आती है। ये स्ट्रेस के कारण हो सकता है। आज की भागमभाग माहौल में में स्ट्रेस कोई नई चीज नहीं है। हर किसी को किसी-न-किसी बात का स्ट्रेस है। हालांकि, अच्छी खबर ये है कि मेडिटेशन, छोटे ब्रेक और कुछ आसान आदतों से हम इसे कंट्रोल कर सकते हैं। ये तरीके न सिर्फ दिमाग को शांत रखते हैं, बल्कि परफॉर्मेंस को भी बेहतर बनाते हैं। आप चाहें स्टूडेंट हों, जॉब कर रहे हों या घर संभाल रहे हों, स्ट्रेस मैनेजमेंट आपकी सुपरपावर बन सकता है। आज 'सक्सेस मंत्रा' कॉलम में हम स्ट्रेस मैनेजमेंट की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- हम सबकी जिंदगी में ऐसे दिन आते हैं जब सब कुछ सही चल रहा होता है, लेकिन अचानक एक छोटी सी बात भी उलझन में डाल देती है। बॉस का कोई मैसेज या ट्रैफिक जाम ही दिमाग को उलझा देता है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है, सिर भारी लगने लगता है और शाम तक थकान इतनी बढ़ जाती है कि बस बिस्तर पर लेट जाओ। बिस्तर पर जाओ तो नींद नहीं आती है। ये स्ट्रेस के कारण हो सकता है। आज की भागमभाग माहौल में में स्ट्रेस कोई नई चीज नहीं है। हर किसी को किसी-न-किसी बात का स्ट्रेस है। हालांकि, अच्छी खबर ये है कि मेडिटेशन, छोटे ब्रेक और कुछ आसान आदतों से हम इसे कंट्रोल कर सकते हैं। ये तरीके न सिर्फ दिमाग को शांत रखते हैं, बल्कि परफॉर्मेंस को भी बेहतर बनाते हैं। आप चाहें स्टूडेंट हों, जॉब कर रहे हों या घर संभाल रहे हों, स्ट्रेस मैनेजमेंट आपकी सुपरपावर बन सकता है। आज 'सक्सेस मंत्रा' कॉलम में हम स्ट्रेस मैनेजमेंट पर बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- स्ट्रेस के क्या नुकसान हैं? तनाव को बहुत आसान भाषा में समझें तो ये छोटी चिंगारी की तरह है, जिसे बुझाया न जाए तो आग बन जाती है। ये सिर्फ मन की परेशानी नहीं है, बल्कि पूरे शरीर को कमजोर कर देता है। लंबे समय का स्ट्रेस ने रहने से हार्ट, ब्रेन और इम्यून सिस्टम सबको नुकसान होता है। सिंपल सा उदाहरण समझिए, अगर ऑफिस में डेडलाइन का प्रेशर आपको रात में सोने नहीं देगा तो आप अगले दिन मीटिंग में फोकस कैसे कर पाएंगे। अगर यही चक्र लंबे समय तक चलता रहा तो जिंदगी को मुश्किल बना देता है। स्ट्रेस शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाता है। इनमें से कुछ बातों को विस्तार से समझिए- खुद पर भरोसा कमजोर हो जाता है जब स्ट्रेस बढ़ता है तो हमें अपनी ही काबिलियत पर शक होने लगता है। अगर एक काम में छोटी सी गलती हो जाए तो सोचते हैं कि ये मैं कभी नहीं कर सकता हूं। लोग कोशिश करना छोड़े देत हैं तो मुश्किल और बढ़ जाती है। तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ता है सोशल मीडिया पर दूसरों की परफेक्ट लाइफ देखकर जलन होती है। स्ट्रेस में हम इसे हैंडल नहीं कर पाते, नतीजा सिरदर्द, थकान और डिप्रेशन जैसी फीलिंग होती है। इससे नींद उड़ जाती है और दिनभर की एनर्जी खत्म हो जाती है। रिश्तों में दरार पड़ जाती है तनाव हमें दूसरों की फीलिंग्स को इग्नोर करने पर मजबूर कर देता है। घर में छोटी सी बात पर झगड़ा हो जाता है, दोस्तों से दूरी बढ़ जाती है। नतीजतन जिंदगी में अकेलापन बढ़ जाता है। परफॉर्मेंस घटती है स्ट्रेस के कारण किसी भी काम में फोकस कर पाना मुश्किल होता है, क्रिएटिविटी खत्म होने लगती है। क्रॉनिक स्ट्रेस से मेमोरी वीक हो जाती है और काम की क्वालिटी घट जाती है। अच्छी बात ये है कि स्ट्रेस मैनेजमेंट से ये सब ठीक हो सकता है। स्ट्रेस मैनेजमेंट क्यों जरूरी है? स्ट्रेस मैनेजमेंट हमें चुनौतियों से लड़ने की हिम्मत देता है और जिंदगी को बैलेंस्ड रखता है। हर किसी की लाइफ अलग है, लेकिन सही तरीकों से तनाव को हैंडल करने से रिश्ते मजबूत होते हैं, हेल्थ बेहतर रहती है और परफॉर्मेंस निखरती है। ये छोटा सा बदलाव बड़ा फर्क ला सकता है। मौजूदा वक्त में ये कहना कि स्ट्रेस से बच जाएंगे, बचकाना लगता है। इसलिए वे लोग जीवन में ज्यादा बेहतर कर पाते हैं, जो स्ट्रेस को मैनेज करना सीख लेते हैं। ग्राफिक में देखिए, मैनेज्ड और अनमैनेज्ड स्ट्रेस दोनों के क्या असर होते हैं- स्ट्रेस मैनेजमेंट के मुख्य तरीके क्या हैं? स्ट्रेस मैनेजमेंट कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बल्कि कुछ आसान स्टेप्स का कॉम्बिनेशन है। बात इतनी सी है कि हमें कुछ आसान तरीके अपनाकर अपना दिमाग रिफ्रेश करना है। ग्राफिक में देखिए- मेडिटेशन से करें शुरुआत ये दिमाग की सबसे अच्छी एक्सरसाइज है। शांत जगह पर बैठें, आंखें बंद करें और सिर्फ अपनी सांसों पर फोकस करें। आपको खुछ भी अलग से नहीं करना है। अगर दिमाग में बहुत सारे विचार आने लगें तो बिना गुस्सा किए फिर से ध्यान लगाएं। रोज 10-15 मिनट मेडिटेशन करने से ब्रेन का ग्रे मैटर बढ़ता है, जिससे मेमोरी और इमोशन कंट्रोल बेहतर होता है। स्ट्रेस मैनेजमेंट की ताकत ये तरीके दिमाग को रीबूट करते हैं। स्ट्रेस कम होता है, क्रिएटिविटी बढ़ती है। रेगुलर प्रैक्टिस करने से मेंटल हेल्थ इम्प्रूव होती है। लीडरशिप में स्ट्रेस कंट्रोल लीडर्स स्ट्रेस मैनेजमेंट से टीम को मोटिवेट करते हैं। मुश्किल वक्त में और बहुत प्रेशन होने पर भी शांत बने रहते हैं। प्रेरणा की मिसाल हैं ये सफल लोग कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने स्ट्रेस को अपना साथी बनाया और ऊंचाइयों को छुआ। ओपरा विन्फ्रे मीडिया क्वीन ओपरा विन्फ्रे रोज मेडिटेशन करती हैं। वह कहती हैं कि मेडिटेशन ने उनकी जिंदगी को पहले से ज्यादा शांत और बैलेंस्ड बनाया है, स्ट्रेस को दोस्त की तरह हैंडल करना सिखाया। यह उनकी सक्सेस का बड़ा राज है। अरियाना हफिंगटन हफिंगटन पोस्ट की फाउंडर अरियाना ने स्ट्रेस से ब्रेकडाउन झेला, फिर अच्छी नींद और मेडिटेशन को लाइफस्टाइल का जरूरी हिस्सा बनाया। वह अपनी किताब 'द स्लीप रेवोल्यूशन' में लिखती हैं कि अच्छी नींद और मेडिटेशन से परफॉर्मेंस डबल हो जाती है। स्ट्रेस को अलविदा कहें स्ट्रेस एक तरह का जाल है, जो हमें जकड़ लेता है, फिर कुछ भी करने से रोकता है। हालांकि, छोटी-छोटी अच्छी आदतों की मदद से हम इस जाल को तोड़ सकते हैं। मेडिटेशन से दिमाग शांत रहेगा, काम के बीच ब्रेक लेने से बॉडी फ्रेश रहेगी। ये सब मिलकर जिंदगी को आसान बनाते हैं। हमेशा याद रखिए कि दिमाग ही आपका सबसे अच्छा साथी है। इसलिए आज से ही स्ट्रेस मैनज करने की शुरुआत करिए। सक्सेस आपकी प्रतीक्षा कर रही है। ……………… ये खबर भी पढ़िए सक्सेस मंत्रा- हमारी तुलना दूसरों से नहीं, खुद से है: कंपेयर न करें, बस ये देखें कि हमारा हर अगला दिन पिछले से बेहतर कैसे हो आमतौर पर इंसानी फितरत ये है कि वह अपने आसपास हो रही चीजों को देखकर ही सीखता है। इस दौरान वह यह नहीं समझ पाता है कि वह कब दूसरों से खुद की तुलना करने लगा है। यह आदत भले अनजाने में बनती है, लेकिन ये हमें कमजोर बनाती है। पूरी खबर पढ़िए...