फिजिकल हेल्थ- फ्रोजन शोल्डर क्या है:सर्दियों में बढ़ते केस, हार्ट पेशेंट, महिलाओं को ज्यादा रिस्क, डॉक्टर से जानें सेफ्टी टिप्स

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सर्दियां शुरू होते ही कुछ लोगों को पूरे शरीर में दर्द महसूस होने लगता है, लेकिन सबसे आम शिकायत कंधों के दर्द की होती है। ठंड का मौसम अपने साथ कई तरह की तकलीफें लेकर आता है, जिनमें सबसे आम फ्रोजन शोल्डर (कंधों का जम जाना) है। भारत के हड्डी रोग विशेषज्ञों और क्लिनिकल अनुभव के मुताबिक, यह समस्या लगभग 2–5% लोगों में पाई जाती है, जो वैश्विक आंकड़ों के करीब है। सर्दियां आते ही इसके लक्षण तेज हो जाते हैं और अस्पतालों में मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने लगती है। ठंड के कारण मांसपेशियां और जॉइंट्स सिकुड़ जाते हैं, ब्लड सर्कुलेशन घट जाता है और लाइफस्टाइल में आने वाली सुस्ती इस जकड़न को और गंभीर बना देती है। यही वजह है कि जाड़े में फ्रोजन शोल्डर के मरीज सबसे ज्यादा परेशान दिखाई देते हैं। इसलिए आज फिजिकल हेल्थ में जानेंगे कि- एक्सपर्ट- डॉ. पवन कुमार छाजेड़, कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स, स्पर्श हॉस्पिटल, बेंगलुरू सवाल- फ्रोजन शोल्डर क्या है? जवाब- फ्रोजन शोल्डर जिसे एडहेसिव कैप्सुलाइटिस भी कहते हैं। यह एक ऐसी तकलीफ है, जिसमें कंधा बहुत दर्द करने लगता है, अकड़ जाता है और हाथ ऊपर उठाना या पीछे ले जाना लगभग नामुमकिन हो जाता है। यह बीमारी आमतौर पर तीन स्टेज में होती है- पूरी बीमारी में महीनों से लेकर 1-3 साल तक का समय लग सकता है। इसलिए इसे जल्दी पहचानकर इलाज शुरू करना बहुत जरूरी है। सवाल- फ्रोजन शोल्डर किन वजहों से होता है? जवाब- वैज्ञानिक अभी तक पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं कि फ्रोजन शोल्डर क्यों विकसित होता है। यह स्थिति तब बनती है, जब कंधे के जॉइंट कैप्सूल में सूजन आ जाती है, जिससे यह मोटा और सख्त होने लगता है। समय के साथ कैप्सूल के अंदर एडहेशन्स नाम की मोटी स्कार टिश्यू की पट्टियां बन जाती हैं, और जॉइंट को चिकनाई देने वाला साइनोवियल फ्लूइड भी कम हो जाता है। इन बदलावों की वजह से कंधे का मूवमेंट और रोटेशन सीमित होने लगता है, जिससे धीरे–धीरे कंधा फ्रोजेन होने लगता है। सवाल- सर्दियों में फ्रोजन शोल्डर की समस्या क्यों बढ़ जाती है? जवाब- डॉ. पवन कुमार छाजेड़ के मुताबिक, सर्दियों में एयर प्रेशर बदलने के कारण शरीर के सॉफ्ट टिश्यू जैसे लिगामेंट और मांसपेशियां हल्का फैलाव और टाइटनेस दिखाते हैं, जिससे कंधे, घुटने और दूसरे जॉइंट्स में तेज दर्द महसूस होता है। लंबे समय तक कोई फिजिकल एक्टिविटी ना करना भी मांसपेशियों को कठोर बनाता है, जिससे दर्द और जकड़न बढ़ती है। सवाल- फ्रोजन शोल्डर के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? जवाब- फ्रोजन शोल्डर आमतौर पर 40–60 वर्ष की उम्र के वयस्कों में देखा जाता है और महिलाओं में यह जोखिम पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। कंधे की हाल की चोट, सर्जरी या ऐसी कोई भी स्थिति जिसमें कंधे को लंबे समय तक स्थिर रखना पड़ता है, इस बीमारी की संभावना को बढ़ा देता है। साथ ही कुछ बीमारियां भी जोखिम बढ़ाती हैं, जैसे डायबिटीज, हाइपोथायरॉइडिज्म, हाइपरथायरॉइडिज्म, हार्ट डिजीज, पार्किंसन और स्ट्रोक। सवाल- फ्रोजन शोल्डर का हमारे खानपान और लाइफस्टाइल से क्या कनेक्शन है? जवाब- फ्रोजन शोल्डर का सीधा संबंध हमारी लाइफस्टाइल और खानपान से है। खराब रूटीन, लगातार तनाव, प्रोसेस्ड फूड और ग्लियाडिन वाले अनाज शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ा सकते हैं, जो इस समस्या को ट्रिगर कर सकता है। संतुलित और पौष्टिक भोजन, तनाव को कम करने वाली गतिविधियां और लंबे समय तक शरीर को स्थिर न रखना कंधे को जकड़न से बचाने में मदद करता है। सवाल- फ्रोजन शोल्डर का मेडिकल ट्रीटमेंट क्या है? जवाब- फ्रोजन शोल्डर की जांच के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपके लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में विस्तार से बात करते हैं। इसके बाद बांह और कंधे के मूवमेंट की जांच के लिए फिजिकल टेस्ट किया जाता है। आमतौर पर कंधे का एक्स-रे करवाया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि दर्द किसी दूसरी समस्या जैसे आर्थराइटिस की वजह से तो नहीं है। सवाल- क्या फ्रोजन शोल्डर का कोई घरेलू इलाज भी है? जवाब- सर्दियों में बढ़ती जकड़न और दर्द से राहत पाने के लिए सही देखभाल, हल्की थेरेपी और कुछ आसान घरेलू उपाय बेहद कारगर साबित होते हैं। पॉइंटर्स से समझते हैं- • हल्के गुनगुने तेल से प्रभावित हिस्से की दिन में दो बार हल्की मालिश करें। • ताजा भोजन खाएं। • मेथी, सोंठ और अजवायन का पाउडर गुनगुने पानी के साथ भोजन के बाद लें। • अश्वगंधा को गर्म दूध में मिलाकर पीना सूजन कम करने में मदद करता है। • जरूरत पड़ने पर दर्द निवारक जेल का उपयोग करें। • दिन में कई बार 15 मिनट के लिए कंधे पर आइस पैक लगाएं। • फिजिकल थेरेपिस्ट से सही एक्सरसाइज, उसकी फ्रीक्वेंसी और प्रोग्रेशन के बारे में सलाह जरूर लें। सवाल- सर्दियों में फ्रोजन शोल्डर को कैसे मैनेज किया जा सकता है? जवाब- सर्दियों में ठंड की वजह से कंधों में जकड़न और दर्द तेजी से बढ़ जाता है। ऐसे में सही देखभाल, हल्की एक्सरसाइज और थोड़ी-सी हीट थेरेपी कंधे के मूवमेंट को बनाए रखने और फ्रोजन शोल्डर से राहत देने में बड़ी भूमिका निभाती है। 1. हीट थेरेपी डॉ. पवन कुमार छाजेड़ के अनुसार, कंधे को गर्म रखना जकड़न और दर्द कम करने में काफी मदद करता है। हीटिंग पैड, गर्म पानी से स्नान और बाहर जाते समय गर्म कपड़े पहनना कंधे को ठंड से बचाता है और मांसपेशियों को रिलैक्स रखता है। 2. नियमित एक्सरसाइज रोजाना हल्के स्ट्रेच और रेंज-ऑफ-मोशन एक्सरसाइज करना जरूरी है, ताकि कंधा ज्यादा सख्त न हो। नियमित मूवमेंट बनाए रखें और अचानक झटके वाली मूवमेंट्स से बचें, क्योंकि वे दर्द बढ़ा सकती हैं। 3. फिजियोथेरेपी सर्दियों में दर्द ज्यादा बढ़ने पर दवाइयां, हल्की मसाज और फिजियोथेरेपी बेहद असरदार साबित हो सकती हैं। ये ट्रीटमेंट मांसपेशियों को ढीला करते हैं और सूजन कम करते हैं, जिससे मूवमेंट बेहतर होता है। 4. लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन घर में छोटे-छोटे बदलाव जैसे सही पोश्चर, कुर्सी की ऊंचाई और फर्नीचर का सही प्लेसमेंट कंधे पर अनावश्यक दबाव कम करते हैं। यह आदत फ्रोजन शोल्डर की समस्या को बिगड़ने से रोकती है। सवाल- फ्रोजन शोल्डर होने पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? जवाब- फ्रोजन शोल्डर से जूझ रहे लोगों को ऐसे सभी आहार और आदतों से बचना चाहिए, जो दर्द बढ़ाते हैं। हेवी एक्सरसाइज, वेट-लिफ्टिंग, देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोना, ठंडी हवा में लंबे समय तक रहना और भोजन छोड़ना भी स्थिति को बिगाड़ सकता है। भारी वजन उठाने से बचें और लंबे समय तक एक ही करवट सोना भी कंधे पर दबाव बढ़ा सकता है। फ्रोजेन शोल्डर से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल- क्या फ्रोजन शोल्डर का इलाज बिना सर्जरी हो सकता है? जवाब- हां, ज्यादातर मामलों में फिजियोथेरेपी, स्ट्रेचिंग, गर्म सेक और दवाओं से ही आराम मिल जाता है। सर्जरी की जरूरत केवल गंभीर मामलों में पड़ती है। सवाल- क्या फ्रोजन शोल्डर खुद ठीक हो सकता है? जवाब- हां, लेकिन इसमें 6 महीने से 2 साल तक भी लग सकते हैं। इसके लिए लगातार एक्सरसाइज करना जरूरी है। .................................. ये खबर भी पढ़िए... फिजिकल हेल्थ- ब्रेस्ट मिल्क में मिला यूरेनियम:ब्रेन–किडनी के लिए खराब, रुक सकती है ग्रोथ, जानें टॉक्सिन साफ करने के सही तरीके बिहार के कुछ जिलों में हुई हालिया स्टडी ने लोगों को चौंका दिया है। इस स्टडी में 17 से 35 साल की 40 ऐसी महिलाओं को शामिल किया गया, जो अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं। इन सभी महिलाओं के दूध के सैंपल लिए गए। जांच में सभी सैंपल्स में यूरेनियम पाया गया, जिसकी अधिकतम मात्रा 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक दर्ज की गई। पूरी खबर पढ़िए...