अमेरिका-इजराइल और यूरोप के साथ जंग की स्थिति में ईरान:राष्ट्रपति बोले- ये हमें घुटनों पर लाना चाहते, लेकिन अब हम पहले से ज्यादा मजबूत

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ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने शनिवार को कहा कि उनका देश अमेरिका, इजराइल और यूरोप के साथ पूरी तरह से जंग की स्थिति में है। यह बयान सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ। पेजेशकियन ने इस युद्ध को 1980-88 के ईरान-इराक युद्ध से भी ज्यादा जटिल और खतरनाक बताया, जिसमें लाखों लोग मारे गए थे। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान में आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक हर तरफ से दबाव बढ़ा है। यह पारंपरिक जंग से कहीं ज्यादा मुश्किल है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ट्रम्प से फ्लोरिडा के मार-ए-लागो रिसॉर्ट में मुलाकात करने वाले हैं। इस मीटिंग में ईरान प्रमुख मुद्दा रहेगा, जिसमें इसके परमाणु कार्यक्रम पर और सैन्य कार्रवाई पर चर्चा हो सकती है। राष्ट्रपति बोले- दुश्मन हमारे देश में फूट डलवाना चाहते हैं राष्ट्रपति ने लोगों से राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की अपील की और कहा कि दुश्मन आंतरिक विभाजन का फायदा उठाना चाहते हैं। अमेरिका और उसके सहयोगी ईरान पर परमाणु हथियार बनाने का आरोप लगाते हैं, जिसे ईरान बार-बार खारिज करता आया है। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है। ट्रम्प ने जनवरी 2025 में दोबारा सत्ता में आने के बाद अपनी 'मैक्सिमम प्रेशर' नीति फिर शुरू की, जिसमें ईरान के तेल निर्यात को शून्य करने और अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने के कदम शामिल हैं। फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को फिर से लागू किया, जो 2015 के परमाणु समझौते के बाद हटाए गए थे। इन प्रतिबंधों से ईरान की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है। ईरान का कहना है कि पश्चिमी देश प्रतिबंधों का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव के लिए कर रहे हैं, जबकि वे शांति चाहते हैं। राष्ट्रपति बोले- ईरान की सेना अब पहले से ज्यादा मजबूत, जवाब देंगे पेजेशकियन ने दावा किया कि जून के हमलों के बावजूद ईरान की सेना अब पहले से ज्यादा मजबूत है। उन्होंने कहा हमारी सेना हथियारों और मैन फोर्स दोनों में। उन्होंने आगे कहा, "हमारी सेना मजबूती से अपना काम कर रही है। अगर वे फिर हमला करेंगे तो उन्हें कड़ा जवाब मिलेगा।" ईरान-इजराइल के बीच 12 दिन का सीधा युद्ध हुआ था इजराइल और ईरान के बीच जून 2025 में 12 दिन का युद्ध हुआ था, जिसमें इजराइल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इस हमले में ईरान के 1000 से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि ईरान की मिसाइलों से इजराइल में 28 लोगों की मौत हुई। बाद में इसमें अमेरिका भी शामिल हो गया और तीन ईरानी परमाणु साइटों पर बमबारी की, जिससे अप्रैल से चल रही परमाणु वार्ता रुक गई। न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकने के लिए इजराइल ने हमला किया था इजराइल की ओर किए गए हमले का मकसद ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को पटरी से उतारना था। इस पूरे युद्ध में अमेरिका भी शामिल हो गया था। अमेरिका ने 22 जून को नतांज, फोर्डो और इस्फहान जैसे ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया। दो दिन बाद, अमेरिकी मध्यस्थता से एक सीजफायर लागू हुआ और लड़ाई थम गई। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने युद्ध के बाद दावा किया कि उन्होंने अमेरिकी और इजराइली सेनाओं को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की हत्या करने से रोका। वहीं, इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने कहा कि वे खामेनेई को मारना चाहते थे, लेकिन यह नहीं पता चल पाया कि वे जमीन के नीचे कहां छिपे हैं। अगर जंग हुआ तो ईरान पर क्या असर पड़ेगा? अगर ये तनाव पूर्ण पैमाने के युद्ध में बदल गया तो ईरान पर गंभीर असर पड़ सकता है। यह 1980-88 के ईरान-इराक युद्ध से भी बदतर हो सकता है। -------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... पाकिस्तान बोला-नूरखान एयरबेस में भारत ने 80 ड्रोन दागे थे: इससे कई सैनिक घायल हुए; ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 11 एयरबेस तबाह किए थे पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने शनिवार को एक बार फिर माना कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में उसके नूरखान एयरबेस पर बड़ा ड्रोन हमला किया था। पूरी खबर पढ़ें...