पानी के अंदर पनडुब्बी में कैसे मिलता है सिग्नल, जानिए क्या है टेक्नोलॉजी

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Signal in Submarines: समुद्र की गहराइयों में तैनात पनडुब्बी का सबसे बड़ा सवाल यही होता है बाहरी दुनिया से कैसे जुड़ा जाएं, जब पानी रेडियो तरंगों को तेजी से रोक देता है? सतह के ऊपर सिग्नल लेना-सें करना आसान है लेकिन पानी के अंदर स्थिति जटिल हो जाती है. इस लेख में हम सरल भाषा में बताएंगे कि पनडुब्बियां किस तरह से संचार करती हैं और कौन-सी टेक्नोलॉजी इसका समाधान बनती है.पानी और रेडियोसमुद्री पानी, विशेषकर नमीयुक्त समुद्री जल, उच्च-आवृत्ति (high-frequency) रेडियो तरंगों को बहुत जल्दी अवशोषित कर देता है. इससे वाई-फाई, सेल फोन या सामान्य रेडियो सिग्नल गहराई में नहीं पहुँच पाते. इसलिए पनडुब्बी संचार के लिए विशेष तरंगदैर्घ्य और वैकल्पिक माध्यमों का सहारा लिया जाता है जिनमें से हर एक का अपना लाभ और सीमा होती है.ELF और VLFसबसे व्यापक इस्तेमाल होने वाली विधि Extremely Low Frequency (ELF) और Very Low Frequency (VLF) रेडियो तरंगें हैं. ये बहुत लंबी तरंगें होती हैं जो पानी के सतह के भीतर कुछ दूरी तक प्रवेश कर सकती हैं. ELF/VLF के जरिए पनडुब्बी को कम डेटा वाले संदेश (जैसे “सतह पर आओ” या “अगला आदेश”) भेजे जा सकते हैं. इन तरंगों का एक बड़ा फायदा यह है कि वे गहराई तक कुछ हद तक पहुंच सकती हैं और पनडुब्बी की स्थिति प्रकट किए बिना संदेश पहुंचा सकती हैं पर उनकी डेटा-रफ़्तार बहुत कम होती है.फ्लोटिंग एंटेना और बुए रिसीवरजब ज्यादा डेटा की ज़रूरत होती है, पनडुब्बियां कभी-कभी सतह के बेहद नजदीक या थोड़ी गहराई पर आकर छोटे-से फ्लोटिंग एंटेना या बुए (buoy) तैनात करती हैं. ये एंटेना सतह पर रहकर सैटेलाइट या जहाज़ के साथ हाई-स्पीड लिंक बना सकते हैं जबकि पनडुब्बी खुद थोड़ी गहराई में बनी रहती है. इसी तरह कुछ पनडुब्बियां snorkel करके सीमित समय के लिए उपर आकर सैटेलाइट से कनेक्ट होती हैं.एकॉस्टिक कम्युनिकेशन और सोनारजल में ध्वनि तरंगें (acoustics) रेडियो की अपेक्षा बेहतर तरीके से फैलती हैं. इसलिए पनडुब्बियां और सतह के वाहन अंडरवाटर फोन, सोनार और अन्य एकॉस्टिक सिस्टम के माध्यम से आपस में संवाद करते हैं. यह तरीका बेहतर रेंज देता है और सिग्नल की स्पीड भी अधिक होती है पर यह भी शोर-गंदगी और मल्टीपाथ प्रभावों से प्रभावित होता है और डेटा रेट सीमित रहता है.ऑप्टिकल और ब्लू-ग्रीन लेज़रहाल के वर्षों में पानी में नीली-हरा प्रकाश (blue/green) बेहतर पैठ रखता है. कुछ शोध और प्रयोगशाला-स्तर के सिस्टम लेज़र्स या लाइट-कम्युनिकेशन का उपयोग कर उच्च-गति डेटा ट्रांसफर करने की कोशिश कर रहे हैं. पर यह केवल साफ पानी और छोटी दूरी के लिए उपयुक्त है क्योंकि टरबिडिटी और तरंगों से संकेत जल्दी छिन सकते हैं.रिले नेटवर्क और आधुनिक समाधानआधुनिक समाधानों में सतह पर अनमैन्ड सर्विसेस (USV) या ड्रोन-बेस्ड रिले, बुए-नेटवर्क और एन्क्रिप्टेड सिग्नलिंग प्रोटोकॉल शामिल हैं. ये तरीके पनडुब्बी की गोपनीयता बनाए रखते हुए ज़रूरी डेटा पहुँचाने में मदद करते हैं. सुरक्षा और स्टील्थ के कारण संदेशों को अक्सर एन्क्रिप्ट किया जाता है और कम-फ्रीक्वेंसी सिग्नल्स में सीमित जानकारी भेजी जाती है.चुनौतियां और भविष्यपनडुब्बी संचार में मुख्य चुनौतियां हैं सीमित बैंडविड्थ, सिग्नल-अवशोषण, शोर, और डिटेक्शन से बचने की ज़रूरत. भविष्य में मल्टी-मोड कम्युनिकेशन (acoustic + optical + RF रिले) और स्मार्ट रिले नेटवर्क इस क्षेत्र को और सक्षम बनाएंगे. साथ ही क्वांटम-सेंसर और एडवांस्ड एनक्रिप्शन भी सुरक्षा बढ़ाएंगे.पानी के अंदर संचार करना आसान नहीं, पर लगातार विकास और स्मार्ट टेक्नोलॉजी की मदद से पनडुब्बियाँ सतत सुरक्षित संपर्क बनाए रख पा रही हैं भले ही वह सतह से मिली-जुली प्रणाली हो या गहराई में ELF/VLF के भरोसे थोड़े-से संदेश.यह भी पढ़ें:दूसरों से चार्जर मांगने की आदत पड़ सकती है भारी, एक्सपर्ट ने किया चौंकाने वाला खुलासा