बूनियन पैरों की एक कॉमन समस्या है, जिसमें पैर के अंगूठे के पास हड्डी जैसा उभार आ जाता है। अंगूठा उंगलियों की तरफ मुड़ जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 23% एडल्ट्स को यह समस्या है। महिलाओं में यह खतरा पुरुषों की अपेक्षा 2 से 10 गुना ज्यादा होता है। टाइट और पॉइंटेड शूज, खासकर हाई हील्स पहनने से पैरों पर दबाव पड़ता है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह दर्दनाक हो सकता है। चलने में तकलीफ, जूते पहनने में परेशानी और यहां तक कि आस्टियोआर्थराइटिस भी हो सकता है। बूनियन कोई नई समस्या नहीं है। यह जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है या फिर गलत जूते-चप्पल पहनने से हो सकता है। हालांकि, सही जूते चुनकर, एक्सरसाइज करके और डॉक्टर की सलाह से इसे मैनेज किया जा सकता है। इसलिए ‘फिजिकल हेल्थ’ में आज बूनियन डिजीज के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- बूनियन क्या है? बूनियन पैर के बड़े अंगूठे के जोड़ पर होने वाला एक उभार है। यह हड्डी की गांठ जैसा बन जाता है, जो पैर के अंदर की तरफ बढ़ता है। मेडिसिन की भाषा में इसे हेलक्स वैल्गस भी कहते हैं। बूनियन कितने तरह का होता है अंगूठे पर बूनियन सबसे कॉमन है। इसमें अंगूठे के आधार पर उभार हो जाता है। हालांकि, बूनियन सिर्फ अंगूठे में नहीं, छोटी उंगली में भी हो सकता है। यह जन्म से, टीनएज में या उम्र बढ़ने पर धीरे-धीरे विकसित होता है। बूनियन को कैसे पहचानेंगे? बूनियन की शुरुआत धीमी होती है। पहले तो बस हल्का उभार नजर आता है, लेकिन धीरे-धीरे दर्द बढ़ता जाता है। अगर आपका बड़ा अंगूठा दूसरी उंगलियों की तरफ मुड़ रहा है, या जूते पहनने पर रगड़ लगती है, तो सावधान हो जाएं। कई लोग सोचते हैं कि यह बस थकान है, लेकिन असल में यह बूनियन का संकेत हो सकता है। लक्षणों को इग्नोर न करें, क्योंकि समय के साथ यह बदतर हो जाता है। चलने में लंगड़ाहट आ सकती है, या पैर सुन्न पड़ सकते हैं। महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं, क्योंकि फैशन के चक्कर में वे असुविधाजनक जूते चुनती हैं। एक दोस्त ने बताया कि उसकी मां को हाई हील्स की वजह से इतना दर्द हुआ कि वे घर पर भी चप्पल नहीं पहन पाती थीं। बूनियन क्यों होता है? बूनियन कोई एक वजह से नहीं होता। कई फैक्टर मिलकर इसे ट्रिगर करते हैं। सबसे बड़ी वजह है गलत जूते। हाई हील्स या नुकीले टिप वाले शूज पैरों पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं, जिससे अंगूठा अपनी जगह से हट जाता है। जेनेटिक्स भी रोल प्ले करता है- अगर परिवार में किसी को है, तो आपको भी हो सकता है। इसके अलावा, पैर की बनावट, जैसे फ्लैट फुट या हाई आर्च, खतरा बढ़ाते हैं। गठिया जैसी बीमारियां, चोट लगना या ज्यादा देर खड़े रहना भी कारण बन सकता है। महिलाओं में हॉर्मोनल बदलाव, जैसे प्रेग्नेंसी, इसे और खराब कर देते हैं। एक स्टडी कहती है कि 70% से ज्यादा मामलों में फैमिली हिस्ट्री जुड़ी होती है। सो, अगर आपका वजन ज्यादा है या काम ऐसा है कि पैरों पर जोर पड़ता है, तो सतर्क रहें। बूनियन से हो सकती हैं ये मुश्किलें अगर बूनियन का इलाज न किया जाए, तो यह सिर्फ दर्द तक सीमित नहीं रहता। यह बर्साइटिस का कारण बन सकता है, जिसमें जोड़ों के आसपास सूजन आ जाती है। हैमर-टो की समस्या हो सकती है, जहां उंगलियां मुड़ जाती हैं। लंबे समय में आस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है, जो जोड़ों को कमजोर कर देता है। चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है, और रोजमर्रा के काम प्रभावित होते हैं। कुछ मामलों में पैर सुन्न पड़ जाते हैं या इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, शुरू में ही डॉक्टर से मिलें। मेरी सलाह है कि दर्द को नजरअंदाज न करें, क्योंकि बाद में सर्जरी की नौबत आ सकती है। बूनियन कैसे डाइग्नोज किया जाता है? डॉक्टर पहले पैर की जांच करते हैं। वे उभार देखते हैं, दर्द पूछते हैं और चलने का तरीका चेक करते हैं। अगर जरूरी हो, तो एक्स-रे करवाते हैं, जो हड्डियों की एलाइन्मेंट दिखाता है। किसी पोडियाट्रिस्ट से मिलना अच्छा रहता है। वे बताते हैं कि समस्या कितनी गंभीर है। बूनियन का इलाज और मैनेज करने के तरीके ज्यादातर मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। शुरू में लाइफस्टाइल बदलाव से ही कंट्रोल हो जाता है। सबसे पहले जूते बदलें- चौड़े और आरामदायक शूज चुनें, जिनमें टो बॉक्स बड़ा हो। बूनियन पैड्स या टेपिंग से दबाव कम करें। दर्द कम करने के लिए डॉक्टर से पूछकर पेन किलर ले सकते हैं। बर्फ से सिंकाई करें, इससे सूजन कम होती है। ऑर्थोटिक्स (शू इंसर्ट) पैरों को सपोर्ट देते हैं। फिजिकल थेरेपी से एक्सरसाइज सीखें, जो पैरों को मजबूत बनाती हैं। अगर दर्द बहुत ज्यादा है, तो कोरटीकोस्टरॉयड इंजेक्शन लगवाएं। अगर ये सब काम न करें, तो सर्जरी ऑप्शन हो सकता है। इसमें हड्डी को सही जगह पर लाया जाता है। सर्जरी के बाद 2-3 महीने में नॉर्मल लाइफ पर लौट सकते हैं। लेकिन सर्जरी आखिरी विकल्प है। बूनियन को कैसे रोकें? प्रिवेंशन इलाज से बेहतर है। सही जूते चुनें- नुकीले या टाइट वाले अवॉइड करें। दिन के अंत में जूते ट्राई करें, क्योंकि पैर थोड़े सूज जाते हैं। अगर पैरों में कोई समस्या है, जैसे फ्लैट फुट, तो ऑर्थोटिक्स यूज करें। वजन कंट्रोल में रखें, क्योंकि एक्स्ट्रा वेट पैरों पर दबाव डालता है। रोज पैरों की एक्सरसाइज करें, जैसे अंगूठे को स्ट्रेच करना। महिलाएं हाई हील्स कम पहनें, और अगर पहनें तो ज्यादा देर न रहें। बच्चों में अगर संकेत दिखें, तो जल्दी डॉक्टर दिखाएं। बूनियन से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल: क्या बूनियन अपने आप ठीक हो सकता है? जवाब: नहीं, बूनियन खुद से नहीं जाता। लेकिन सही मैनेजमेंट से लक्षण कंट्रोल हो सकते हैं। डॉक्टर से मिलें। सवाल: महिलाओं को यह समस्या ज्यादा क्यों होती है? जवाब: महिलाएं हाई हील्स और टाइट शूज ज्यादा पहनती हैं, जो पैरों पर दबाव डालते हैं। हॉर्मोनल बदलाव भी रोल प्ले करते हैं। सवाल: सर्जरी कब जरूरी होती है? जवाब: जब दर्द बहुत ज्यादा हो, चलना मुश्किल हो या अन्य तरीके काम न करें। डॉक्टर तय करेंगे। सवाल: बूनियन से बचने के लिए क्या करें? जवाब: आरामदायक जूते पहनें, वजन कंट्रोल रखें, पैरों को रेस्ट दें और एक्सरसाइज करें। अगर फैमिली हिस्ट्री है, तो रेगुलर चेकअप करवाएं। बूनियन कोई बड़ी बीमारी नहीं, लेकिन इग्नोर करने से परेशानी बढ़ सकती है। सही जानकारी और छोटे बदलाव से इसे मैनेज कर सकते हैं। अगर लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से बात करें। पैरों की सेहत अच्छी रखें, क्योंकि ये हमें हर कदम पर साथ देते हैं। ……………… ये खबर भी पढ़िए फिजिकल हेल्थ- भारत में 3.5 करोड़ लोगों को अस्थमा: ये क्यों होता है, क्या हैं शुरुआती लक्षण, डॉक्टर से जानें हर सवाल का जवाब अस्थमा में इंफ्लेमेशन के कारण फेफड़ों की सांस लेने की नली प्रभावित होती है। इसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है और कई बार रोज के सामान्य कामकाज में भी मुश्किल होने लगती है। पूरी खबर पढ़िए...