मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीला कफ सिरप पीने से 14 बच्चों की मौत ने सरकारी लापरवाही और दवा नियंत्रण व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया. भोपाल से महज छह घंटे की दूरी पर हुई इस त्रासदी के पीड़ित परिवारों से मिलने में सरकार और विपक्ष दोनों को 33 दिन लग गए. जांच में सामने आया कि सिरप में फार्मा ग्रेड की जगह इंडस्ट्रियल ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल इस्तेमाल हुआ था, जिसमें 48% से ज्यादा जहरीला DEG पाया गया, जबकि इसकी सीमा 0.1% होनी चाहिए.