पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:संकल्प लें कि हमारे शब्द सदैव सत्य के निकट होंगे

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आने वाले समय में सूचनाओं का सच जानना मुश्किल हो जाएगा। और ये सब होगा तकनीक की बढ़ती दुनिया में। ऐसा बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं। जिन्होंने तकनीक का निर्माण किया, वे भी भयभीत होकर कह रहे हैं कि हमें भी नहीं मालूम अब इस तकनीक के क्या दुष्परिणाम होंगे। तकनीक को जेब में रखकर अब इतना भी क्या झूमना कि हर कदम आसमान पर रखने का मन होने लगे। अधिकांश लोगों का जीवन अनियंत्रित हो गया है। भ्रामक जानकारी और दुष्प्रचार का एक बड़ा उदाहरण तो सामने आ ही गया है। एक बड़े देश के राष्ट्रपति आने वाला दृश्य दिखा रहे हैं कि लोग कैसे गलत सूचनाओं के आधार पर अपना तंत्र चलाएंगे। हम भारतीय संस्कृति वालों को थोड़ा पीछे अपनी परंपरा को देखना होगा, जहां हमने शब्दों को ब्रह्म माना है। यदि हम प्रतिदिन अपनी पूजा में मंत्र बोलते हों, जपते हों, तो एक संकल्प लें कि हमारे शब्द सदैव सत्य के निकट होंगे। और हम कभी भी ना तो भ्रामक काम करेंगे और ना ही शब्द बोलेंगे।