Mehmood Birth Anniversary: जब महमूद ने अपने बेटे लकी अली की ही नकल करके माहौल को बना दिया था खुशनुमा

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जब भी हिंदी सिनेमा में कॉमेडी की बात होती है, एक नाम जो तुरंत जेहन में आता है, वह है महमूद अली, जिन्हें लोग महमूद के नाम से जानते हैं. 29 सितंबर, 1932 को जन्मे इस बहुमुखी कलाकार ने अपनी अनूठी कॉमिक टाइमिंग, चुलबुले अंदाज और दिल को छू लेने वाली सादगी से सिल्वर स्क्रीन पर ऐसा जादू चलाया कि दशकों बाद भी उनकी फिल्में दर्शकों को पसंद आती हैं.अभिनेता, निर्माता, निर्देशक महमूद ने हर किरदार को न सिर्फ जिया, बल्कि उसे अमर कर दिया. 1950 से 1980 के दशक तक के उनके करियर में महमूद ने लगभग 300 फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी कॉमेडी करने की अनोखी प्रतिभा उनकी असल पहचान थी.हर किरदार में जान फूंक देते थे महमूद‘पड़ोसन’ में भोला का किरदार हो, ‘बॉम्बे टू गोवा’ में खन्ना का बेपरवाह अंदाज, या फिर ‘कुंवारा बाप’ में रिक्शावाले की भावुक कहानी, महमूद ने हर रोल में जान डाल दी.उनकी हंसी न सिर्फ मनोरंजन करती थी, बल्कि समाज की सच्चाइयों को भी हल्के-फुल्के अंदाज में सामने लाती थी. महमूद सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, वह एक कहानीकार थे, जिन्होंने अपने किरदारों के जरिए आम आदमी की जिंदगी को स्क्रीन पर उतारा. उनकी फिल्मों में हास्य और संवेदनशीलता का ऐसा मिश्रण था कि दर्शक हंसते-हंसते भावुक हो उठते थे. महमूद हर किरदार में छा जाते थे.महमूद को कॉमेडी का बादशाह कहा जाता था, उनका हास्यबोध केवल फिल्मों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि वह उनके जीवन के हर पल में मौजूद था. उनकी बेजोड़ हाजिरजवाबी और कॉमेडी ने उन्हें कई बार मुश्किल परिस्थितियों से बचाया.जब महमूद ने कस्टम ऑफिसर्स को हंसाकर ली थी जांच में छूटउनकी जीवनी 'महमूद ए मैन ऑफ मैनी मूड्स' में एक ऐसा ही मजेदार किस्सा दर्ज है, जो बताता है कि कैसे एक पिता ने अपने नाराज बेटे की नकल कर, एक गंभीर माहौल को खुशनुमा बनाया और कस्टम ऑफिस की जांच में छूट दिलाई.यह किस्सा तब का है जब महमूद अपने बेटे लकी अली के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय यात्रा से लौट रहे थे. मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों ने उन्हें यह सोचकर रोक लिया कि वह विदेश से निर्धारित मात्रा से अधिक सामान लेकर आए हैं. अधिकारियों की जांच की प्रक्रिया काफी जटिल और उबाऊ थी. बार-बार के सवालों से महमूद के बेटे लकी अली नाराज हो गए.लकी अली ने गुस्से में आकर अधिकारी से कहा, "आप जानते हैं कि आप किससे बात कर रहे हैं? यह मेरे पिताजी महमूद हैं!"अपने ही बेटे की मिमिक्री करने लगे थे महमूदएक अभिनेता के बेटे के लिए यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी, लेकिन महमूद के लिए यह तुरंत कॉमेडी का एक मौका बन गया. जहां अधिकारी गंभीर थे, वहीं महमूद ने तुरंत अपने बेटे के गुस्से और उनकी आवाज के ऊंचे स्वर की नकल करनी शुरू कर दी. उन्होंने वही लाइन, "आप जानते हैं कि आप किससे बात कर रहे हैं?" को एक फिल्मी अंदाज में चेहरा बना-बना कर कई बार दोहराया.उनकी कॉमेडी इतनी मजेदार थी कि एयरपोर्ट पर मौजूद हर व्यक्ति हंसे बिना नहीं रह सका. कस्टम अधिकारी भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए. उस पल के तनाव और गंभीर माहौल को महमूद ने अपनी सहज कॉमेडी से तुरंत हल्का कर दिया. इस एक्ट के बाद ही अधिकारी ने महमूद को पहचाना और उनकी जांच हल्के-फुल्के तरीके से खत्म कर दी गई.यह किस्सा साबित करता है कि महमूद की कॉमेडी केवल एक कला नहीं थी, बल्कि उनके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग थी. उन्होंने हमेशा माना कि जीवन की सबसे गंभीर स्थितियों में भी हंसी का एक मौका छिपा होता है, और यही फलसफा उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास का एक महान कलाकार बनाता है.