आदिवासियों के लिए जहन्नुम बना मणिपुर, NCRB की रिपोर्ट में दिखी भयावह स्थिति

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देश में अपराध की स्थिति को लेकर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. वर्ष 2023 के अपराध आंकड़ों पर आधारित इस रिपोर्ट के मुताबिक अनुसूचित जनजातियों (ST) के खिलाफ अपराधों में सबसे अधिक वृद्धि हुई है जो चिंताजनक है. एसटी समुदाय के लोगों पर जुर्म के 12,960 मामले दर्ज हुए, जो 2022 के 10,064 मामलों की तुलना में 28.8 प्रतिशत अधिक हैं. प्रति लाख आबादी पर अपराध दर 9.6 से बढ़कर 12.4 हो गई. इन आंकड़ों के पीछे मणिपुर की स्थिति जिम्मेदार है.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक NCRB की रिपोर्ट ने अपराधों की श्रेणियों में मामूली चोट के 2,757 मामले (21.3 प्रतिशत) को सबसे अधिक बताया, इसके बाद दंगे (1,707 मामले, 13.2 प्रतिशत) और बलात्कार (1,189 मामले, 9.2 प्रतिशत) रहे. मणिपुर मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा से जूझ रहा है. वह ST के खिलाफ अपराध के मामले में सबसे बुरा राज्य बन गया है. यहां 3,399 मामले दर्ज हुए, जो 2022 में मात्र एक और 2021 में शून्य थे. NCRB ने बताया कि मणिपुर में 260 डकैती, 1,051 आगजनी, 203 अपमानजनक धमकी या डराने के मामले और 193 ST की जमीन पर कब्जे या बेचने के मामले सामने आए. राज्य सरकार ने शांति बहाली के लिए कई उपायों का दावा किया है, जैसे सामुदायिक संवाद और सुरक्षा बलों की तैनाती, लेकिन आंकड़े हिंसा की गंभीरता को उजागर करते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सामाजिक-आर्थिक असमानता और भूमि विवाद इस हिंसा के मूल में हैं.मध्य प्रदेश में भी हुए खूब अत्याचारअन्य राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेश ST के खिलाफ अपराधों में दूसरे स्थान पर रहा, जहां 2,858 मामले दर्ज हुए. यह 2022 के 2,979 मामलों से कम है, लेकिन 2021 के 2,627 से अधिक. राजस्थान में 2,453 मामले दर्ज हुए, जो 2022 के 2,521 से थोड़े कम हैं, लेकिन 2021 के 2,121 से अधिक. ये आंकड़े आदिवासी क्षेत्रों में भूमि विवाद, सामाजिक भेदभाव और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों की ओर इशारा करते हैं.अनुसूचित जातियों (SC) के खिलाफ अपराधों में 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई, कुल 57,789 मामले, जो 2022 के 57,582 से थोड़ा अधिक हैं. यह अंतर ST और SC समुदायों के खिलाफ हिंसा की प्रकृति में भिन्नता को दर्शाता है. जहां ST के खिलाफ हिंसा अक्सर जातीय और क्षेत्रीय तनावों से जुड़ी है, वहीं SC के खिलाफ अपराध सामाजिक भेदभाव और जातिगत पूर्वाग्रहों से प्रेरित हैं.महिलाओं के खिलाफ अपराधमहिलाओं के खिलाफ अपराधों में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, कुल 4,48,211 मामले. प्रति लाख महिला आबादी अपराध दर 66.4 से घटकर 66.2 हो गई. प्रमुख अपराध श्रेणियों में पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (1,33,676 मामले, 29.8 प्रतिशत), अपहरण (88,605 मामले, 19.8 प्रतिशत), इज्जत भंग करने का हमला (83,891 मामले, 18.71 प्रतिशत) और POCSO एक्ट (66,232 मामले, 14.8 प्रतिशत) शामिल हैं.बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, कुल 1,77,335 मामले. प्रति लाख बच्चे अपराध दर 36.6 से बढ़कर 39.9 हो गई. अपहरण (79,884 मामले, 45 प्रतिशत) और POCSO एक्ट (67,694 मामले, 38.2 प्रतिशत) प्रमुख श्रेणियां रहीं. किशोर अपराधों में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, कुल 31,365 मामले. 40,036 किशोर पकड़े गए, जिनमें से 79 प्रतिशत 16-18 वर्ष आयु वर्ग के थे. यह युवाओं में बढ़ते अपराधों की ओर ध्यान आकर्षित करता है, जो सामाजिक-आर्थिक दबावों और शिक्षा की कमी से जुड़ा हो सकता है.19 महानगरों में 7,33,983 लोग गिरफ्तार किए गए. कुल 4,90,297 लोगों पर चार्जशीट दाखिल हुई, 1,46,022 दोषी ठहराए गए, 95,153 बरी हुए और 12,932 को मुक्त किया गया. कोच्चि (97.2 प्रतिशत), कोलकाता (94.7 प्रतिशत) और पुणे (94 प्रतिशत) में IPC अपराधों के तहत उच्चतम चार्जशीटिंग दर दर्ज की गई.