दो साल की एमबीए की पढ़ाई कर रहे युवक ने उस दिन अपनी शिक्षिका की बात बेहद ध्यान से सुनी। उन्होंने कहा कि रिसर्च असाइनमेंट के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल ना करें। असाइनमेंट पूरा करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेना और विषय को समझने के लिए इसका उपयोग करना, दो अलग-अलग बातें हैं। वह घर जाकर अपने कंप्यूटर पर बैठा और अपने विचारों को टाइप करने लगा। उसकी स्पेलिंग बहुत खराब थी। इसलिए उसने उन लाल रंग से अंडरलाइन किए शब्दों को ब्राउजर पर कट-पेस्ट किया। तुरंत ही एक एआई-जनरेटेड जवाब सामने आ गया। छात्र देखकर दंग रह गया कि सर्च किए गए शब्द के साथ एआई ने ऐसे तथ्य भी पेश कर दिए, जिनके बारे में वह जानता तक नहीं था। वह और उत्सुक हुआ और आधे घंटे के लिए इसमें डूब-सा गया। उसने पाया कि 30 मिनट पहले की तुलना में अब उसके पास अधिक जानकारी है। अब वह अपने असाइनमेंट में जो भी लिखेगा, उसमें एआई के शब्दों की परत होगी- जैसे वनीला आइसक्रीम पर चॉकलेट। अब मुझे बताइए कि क्या छात्र ने शिक्षिका के साथ धोखा किया?शिक्षिका के लिए इस छात्र की प्रकृति को समझना बहुत मुश्किल होगा। हालांकि एआई के ऐसे इस्तेमाल को अकादमिक हलकों में सही माना जाता है, लेकिन इस पर प्रतिक्रिया को लेकर भारी बदलाव देखा गया है। 2022 के अंत में चैटजीपीटी लॉन्च होने के बाद कई स्कूलों ने एआई पर प्रतिबंध लगा दिया था। बदलते हालात में अब शिक्षकों को कहा गया कि वे एआई-प्रतिबंध की बात करने के बजाय एआई लिटरेसी सिखाएं। सोच रहे हैं कि यह क्या चीज है? आइए चर्चा करते हैं।हम सभी यह मानते हैं कि छात्रों को यह जानना होगा कि करियर के लिए एआई का प्रभावी इस्तेमाल कैसे करें। एआई-लिटरेसी और कुछ नहीं, बस उन्हें यह बताना ही है कि क्या नैतिक है और क्या नहीं। यह उन शिक्षाविदों के बीच एक चर्चित शब्द बन गया है, जो विद्यार्थियों को यह सिखाने पर जोर दे रहे हैं कि जोखिम कम करते हुए एआई की क्षमताओं का लाभ कैसे उठाएं। वरिष्ठ शिक्षाविदों का कहना है कि जब कोई पढ़ाई पूरी कर स्कूल या कॉलेज से निकल रहा है तो उसे अब अंकों और ग्रेडों के बजाय इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि शिक्षा का असली उद्देश्य क्या है। उनका तर्क है कि दूसरे की कॉपी देखने, चिट ले जाने से लेकर वॉशरूम में किताबें छुपाने और वहां जाकर उत्तर देखने तक के तरीकों से नकल तो पहले भी होती थी। अब विद्यार्थी उत्तर के कुछ अंश लिखने और उन किताबों का सारांश जानने के लिए एआई का इस्तेमाल करने लगे हैं, जिन्हें उन्होंने कभी खोला ही नहीं। यूएससी सेंटर फॉर जनरेटिव एआई एंड सोसाइटी द्वारा भारत, अमेरिका, कतर, कोलंबिया और फिलिपींस में किए हालिया शोध से पता चला है कि हर हफ्ते लगभग 27% विद्यार्थी अपने पाठ तैयार करने के लिए एआई का उपयोग करते हैं। भले ही एआई ने रोजमर्रा के कामों को आसान बनाया हो, लेकिन शोध में चिंता जताई गई है कि एआई-यूजर्स विद्यार्थियों में रचनात्मकता कम हो सकती है। ऐसे शिक्षक होमवर्क देने के बजाय क्लास में ही हाथ से निबंध लिखवाने लगे हैं। लेकिन ऐसे समाधानों की अपनी सीमाएं हैं, जैसे हर विषय के पीरियड की अवधि। शिक्षकों को लगता है छात्रों को नैतिकता का पाठ पढ़ाना और जीवन में इसके लाभ के बारे में बताना सबसे उपयुक्त तरीका है। शिक्षक अब विद्यार्थियों को यह भी समझा रहे हैं कि होमवर्क का उद्देश्य महज उनको घर पर व्यस्त रखना नहीं है। शिक्षाविदों का मानना है कि ऐसा करके नकल के कारणों को कम किया जा सकेगा और इससे युवाओं में नकल के चलन में कमी आएगी। फंडा यह है कि जब चीटिंग का अर्थ बदल रहा है, तो आधुनिक दुनिया में हमें इस शब्द को कितनी गंभीरता से लेना चाहिए? मुझे ईमेल करके बताएं।