Reported by:Siddhant MishraEdited by:Deepak VermaAgency:सीएनएन-आईबीएनLast Updated:September 26, 2025, 17:05 ISTइम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटIndian Army के पूर्व सैनिक के साथ वैंकूवर में शर्मनाक व्यवहार.वैंकूवर एयरपोर्ट पर रिटायर्ड हवालदार गुरजीत सिंह के साथ हुई घटना ने इंडो-कनाडियन कम्युनिटी का गुस्सा भड़का दिया है. 24 साल तक असम राइफल्स में सेवा देने वाले जवान को उनके बेटे और परिवार से मिलने आए वीजा पर हिरासत में लिया गया और मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा. गुरजीत सिंह का वीजा पूरी तरह वैध था और परिवार ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किया था. लेकिन CBSA के अधिकारी उन्हें आतंकवादी समूह से जोड़ने का आरोप लगाते रहे और उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने की हर कोशिश की. उन्होंने फर्जी प्रचार सामग्री दिखाई और उनके सैन्य रैंक को बदलने का दबाव डाला, जो सीधे भारतीय सेना की गरिमा पर हमला था. मोबाइल और बैगेज जब्त कर उनका मानसिक दबाव बढ़ाया गया.झूठे आरोप और आतंकवादी कहकर डरायाCBSA अधिकारियों ने गुरजीत सिंह पर उनके रेजिमेंट को आतंकवादी समूह बताने का आरोप लगाया. अधिकारी उन्हें झूठे अपराधों को स्वीकार करने के लिए दबाव डालते रहे. इस दौरान उनके परिवार ने $10,000 का बॉन्ड देने की पेशकश की, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें “राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा” घोषित कर दिया. इसके साथ ही फर्जी प्रचार सामग्री दिखाई गई, जिसमें भारतीय सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के झूठे आरोप थे.सेना रैंक बदलने का दबाव और अपमानगुरजीत सिंह को उनके वास्तविक रैंक हवालदार की जगह “जूनियर कमीशन अधिकारी” कहने को कहा गया. यह उनके और भारतीय सेना की इज्जत पर सीधे हमला था. उनके मोबाइल और बैगेज जब्त कर लिए गए और हिरासत में उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया. यह न केवल व्यक्तिगत अपमान था बल्कि भारतीय सेना की गरिमा पर हमला था.नस्लीय भेदभाव और लंबी हिरासत का आरोपभाई तलविंदर सिंह ने बताया कि गुरजीत को पहले 45 मिनट पानी तक नहीं दिया गया. उन्हें हथकड़ी लगाई गई और 5 दिन तक हिरासत में रखा गया. इस दौरान उन्हें मानसिक और शारीरिक दबाव दोनों झेलने पड़े. परिवार का कहना है कि यह नस्लीय भेदभाव की भी एक स्पष्ट घटना थी.वीजा होने के बावजूद प्रवेश नहींCBSA ने कहा कि वीजा मिलना भविष्य में प्रवेश की गारंटी नहीं है. सभी यात्री की जांच होती है और नियमों का पालन अनिवार्य है. सुरक्षा, मानवाधिकार उल्लंघन या दस्तावेज़ में गड़बड़ी के कारण किसी को प्रवेश अस्वीकार किया जा सकता है. लेकिन गुरजीत सिंह की स्थिति में ऐसा होना कानून और सम्मान दोनों के खिलाफ है.गुरजीत सिंह को दो विकल्प दिए गए- CBSA के खिलाफ लड़ाई या भारत वापसी. उन्होंने सम्मान और रेजिमेंट की गरिमा बचाते हुए भारत लौटना चुना. 22 सितंबर 2025 को वे भारत लौट गए. उनका कहना है कि झूठे आरोप स्वीकार करना उनके और भारतीय सेना की इज्जत पर चोट होती.यह घटना कनाडा में भारतीय सैनिकों की इज्जत और एशियाई समुदाय के खिलाफ भेदभाव पर सवाल खड़ा कर रही है. इंडो-कनाडियन समुदाय इसे गंभीरता से देख रहा है और CBSA के रवैये की आलोचना कर रहा है. CBSA ने कानूनी भाषा में जवाब दिया लेकिन किसी माफी या सुधारात्मक कदम की जानकारी नहीं दी. जवान और परिवार का कहना है कि यह घटना केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारतीय सेना की गरिमा पर हमला है.About the AuthorDeepak VermaDeepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ेंDeepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He... और पढ़ेंhomeworldकनाडा के वैंकूवर एयरपोर्ट पर सेना के वेटरन जवान का अपमान, हिरासत में लिया गयाऔर पढ़ें