Ranbir Kapoor Birthday: पहले 'रॉकस्टार', अब बनेंगे 'राम'... जुनून के दम पर रणबीर कपूर ने बनाया ऊंचा मुकाम

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जब बात बॉलीवुड के नए जमाने के उन सितारों की होती है, जो अपनी सादगी और गहराई से दर्शकों का दिल जीत लेते हैं, तो रणबीर कपूर का नाम सबसे ऊपर आता है. 28 सितंबर 1982 को मुंबई के मशहूर कपूर खानदान में जन्मे रणबीर न सिर्फ एक एक्टर हैं, बल्कि एक ऐसा चेहरा हैं, जिसने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.रणबीर कपूर के पिता ऋषि कपूर और मां नीतू कपूर ने सिल्वर स्क्रीन पर अपनी छाप छोड़ी, तो दादा राज कपूर ने भारतीय सिनेमा को वर्ल्ड लेवल पर पहचान दिलाई. लेकिन रणबीर ने अपनी राह खुद बनाई, एक ऐसी राह जो उनकी प्रतिभा और जुनून से रोशन है.हर किरदार में छाए रणबीर कपूर2007 में संजय लीला भंसाली की 'सांवरिया' से रणबीर ने अपने करियर की शुरुआत की. भले ही फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर न टिकी हो, लेकिन रणबीर की मासूमियत और स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी ने सभी का ध्यान खींचा. वोां से शुरू हुआ सफर 'वेक अप सिड' और 'रॉकेट सिंह: सेल्समैन ऑफ द ईयर' जैसी फिल्मों के साथ रफ्तार पकड़ता गया. 'रॉकस्टार' में उनके जुनूनी किरदार 'जॉर्डन' ने दर्शकों को झकझोरा, तो 'बर्फी' में एक गूंगे-बहरे किरदार के जरिए उन्होंने साबित किया कि सच्चा अभिनय शब्दों से परे होता है.'एनिमल' बनकर बढ़ाई फैन-फॉलोविंग'ये जवानी है दीवानी' में रणबीर ने अपने किरदार की बेपरवाह आजादी और 'संजू' में संजय दत्त की जटिल जिंदगी को जीवंत किया. संदीप रेड्डी वांगा की 'एनिमल' में उन्होंने ऐसे बेटे का किरदार निभाया जो अपने परिवार और पिता के खातिर दुश्मनों को बिना सोचे-समझे मौत के घाट उतारने पर आमादा रहता है. रणबीर ने हर बार नया बेंचमार्क सेट किया.'रॉकस्टार' बना टर्निंग पॉइंटरणबीर कपूर की फिल्म 'रॉकस्टार' उनके करियर का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बनकर सामने आई थी. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि फिल्म के किरदार 'जनार्द/जॉर्डन'' के दर्द को पर्दे पर उतारने के लिए उन्हें कितनी बड़ी इमोशनल कीमत चुकानी पड़ी थी. उन्होंने फिल्म में अपने किरदार के लिए खुद को पूरी दुनिया से काट लिया था. इससे जुड़ा किस्सा उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में साझा किया था.दरअसल, 'रॉकस्टार' में रणबीर का किरदार एक सीधे-सादे लड़के 'जनार्दन' से एक विद्रोही रॉकस्टार 'जॉर्डन' के सफर से गुजरता है. निर्देशक इम्तियाज अली चाहते थे कि रणबीर अपने किरदार के इमोशनल खालीपन को सिर्फ दिखाएं नहीं, बल्कि महसूस करें. इम्तियाज अली का मानना था कि महान कला सिर्फ सच्चे दर्द से ही पैदा होती है.इम्तियाज अली ने रणबीर कपूर ने की थी ऐसी डिमांडइसके लिए इम्तियाज अली ने रणबीर कपूर से एक अनोखी और मुश्किल डिमांड की. इम्तियाज अली ने रणबीर को शूटिंग के दौरान खुद को पूरी तरह से अलग रखने को कहा. रणबीर ने अपने निर्देशक की बात मानी. उन्होंने सेट पर और सेट के बाहर भी जानबूझकर खुद को बाकी लोगों से दूर रखना शुरू कर दिया. रणबीर ने अपने दोस्तों और यहां तक कि सेट पर मौजूद लोगों के साथ भी बातचीत बहुत कम कर दी. वो ज्यादातर समय शांत रहते थे और अपने किरदार के दर्द को महसूस करने की कोशिश करते थे.यह अलगाव रणबीर के लिए मानसिक रूप से बहुत मुश्किल था, लेकिन इसी ने उन्हें उस दर्द और अकेलेपन को समझने में मदद की जो उनके किरदार 'जॉर्डन' की पहचान थी. यह सिर्फ अभिनय नहीं था, बल्कि एक मानसिक तैयारी थी जहां अभिनेता अपने निजी जीवन को दरकिनार कर किरदार की भावनाओं में डूब गया.'रामायण' में भगवान राम बनेंग रणबीर कपूरलीक से हटकर किए गए इस अभिनय का ही नतीजा था कि रणबीर कपूर ने अपने करियर का एक बेस्ट परफॉर्मेंस दी. ये दिखाता है कि रणबीर कपूर की सफलता सिर्फ उनके अच्छे लुक या चार्म की वजह से नहीं है, बल्कि उस गहरे जुनून और त्याग की वजह से है जो वो अपने हर किरदार के लिए करते हैं. अब एक्टर नितेश तिवारी की 'रामायण' में भगवान राम का किरदार निभाएंगे.