तालिबान ने सोमवार से पूरे अफगानिस्तान में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क सेवाएं बंद कर दी हैं। न्यूज वेबसाइट काबुलनाउ के मुताबिक, काबुल, हेरात, मजार-ए-शरीफ और उरुजगान सहित कई शहरों में फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट सर्विस ठप हो गईं। इसके बाद मोबाइल डेटा कुछ टाइम तक तो काम करता रहा, लेकिन सिग्नल टावर बंद होने से वो भी बंद हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये फैसला अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए लिया गया है। इससे पहले कुछ प्रांतों जैसे बल्ख, कंधार, हेलमंद, उरुजगान, और निमरोज में फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क बंद किए गए थे। लेकिन अब ये इंटरनेट बंदी पूरे देश में लागू हो गई, जिसमें मोबाइल नेटवर्क भी शामिल है। अफगानिस्तान से इंटरनेशनल कॉल करना नामुमकिन इस ब्लैकआउट की वजह से अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय कॉल का आना-जाना नामुमकिन हो गया है। इससे कई परिवार, व्यवसायी और सहायता संगठन एक दूसरे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। लोकल इंटरनेट प्रोवाइडर्स ने मीडिया से कहा कि ये कार्रवाई तालिबान के आदेश पर हुई है। वहीं, एक साइबर सिक्योरिटी निगरानी संगठन नेटब्लॉक्स ने बताया कि अफगानिस्तान में इंटरनेट कनेक्टिविटी नॉर्मल लेवल के सिर्फ 14% पर है। लड़कियों की पढ़ाई पर सबसे ज्यादा असर तालिबान के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर महिलाओं और लड़कियों पर पड़ेगा। तालिबान पहले ही लड़कियों के स्कूल और यूनिवर्सिटी जाने पर रोक लगा चुका है। ऐसे में अब उनका ऑनलाइन क्लास करना भी मुश्किल हो जाएगा। कंधार की एक छात्रा ने लोकल मीडिया को बताया कि बिना वाई-फाई के वह अपनी ऑनलाइन इंग्लिश की क्लास नहीं ले पाएगी। वहीं, एक अन्य लड़की ने कहा- इंटरनेट बंद होने से मेरी कोडिंग और ग्राफिक डिजाइन की पढ़ाई रुक जाएगी। लोकल बिजनेस को भी नुकसान की आशंका अफगानिस्तान के लोकल बिजनेस भी इस फैसले से प्रभावित होंगे। मजार-ए-शरीफ में एक ऑनलाइन स्नैक व्यापारी कुछ दिन पहले कहा था- हम 21वीं सदी में हैं, लेकिन हम पीछे जा रहे हैं। मेरा सारा कारोबार ऑनलाइन है। बैंकों, पासपोर्ट कार्यालयों और सरकारी ऑफिस में भी कामकाज पर असर पड़ेगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम अनैतिकता रोकने के बहाने असंतोष को दबाने की कोशिश है। पत्रकारिता संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स के लोकल डॉयरेक्टर बेह लिह यी ने हाल ही में कहा था- ऐसे फैसले पत्रकारों के काम और लोगों के सूचना के अधिकार को कमजोर करते हैं। ----------------------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... तालिबान ने यौन उत्पीड़न से जुड़ी किताबें गैरकानूनी घोषित की:कुल 679 किताबों पर रोक; मानवाधिकार से जुड़ी पढ़ाई पर भी प्रतिबंध तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान की यूनिवर्सिटीज में यौन उत्पीड़न, मानवाधिकार और महिलाओं से जुड़े विषयों पर पढ़ाई जाने वाली किताबों पर रोक लगा दी। यह प्रतिबंध 28 अगस्त 2025 को लागू हुआ, जिसमें 679 किताबों को "शरिया और तालिबान नीतियों के खिलाफ" बताकर प्रतिबंधित किया गया। इनमें से 140 किताबें महिलाओं ने लिखीं थीं। यहां पढ़ें पूरी खबर...