हम सब की जिंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं, जब लगता है कि रास्ता कहीं गुम हो गया है। कभी करियर में आगे बढ़ने का तरीका नहीं सूझता, तो कभी पर्सनल लाइफ में फैसले लेने में डर लगता है। अगर कोई अनुभवी इंसान साथ हो, जो आपकी बात सुने, आपकी ताकत पहचाने और सही दिशा दिखाए तो सब आसान हो सकता है। मौजूदा वक्त में किताबी ज्ञान और स्किल्स तो सबके पास हैं, लेकिन असली कामयाबी उन्हें मिलती है, जिन्हें सही समय पर सही सलाह मिलती है। इसे ही मेंटरशिप कहते हैं। मेंटर वो शख्स होता है, जो अपने तजुर्बे से आपको आगे बढ़ने का रास्ता बताता है और आपको खुद पर भरोसा करना सिखाता है। आज 'सक्सेस मंत्रा' कॉलम में हम सही मेंटर की तलाश पर बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- सही मेंटर न होने के क्या नुकसान हैं? जिंदगी में बिना मार्गदर्शक के चलना वैसा ही है जैसे अंधेरे में टटोलकर रास्ता ढूंढना। शुरुआत में तो लगता है सब ठीक है, लेकिन धीरे-धीरे मुश्किलें बढ़ती जाती हैं। मिसाल के तौर पर, अगर आप नई जॉब में हैं और कोई गाइड नहीं है, तो छोटी गलतियां बड़ी समस्या बन सकती हैं। घर में भी अगर कोई अनुभवी सलाह न दे तो रिश्ते उलझ सकते हैं। बिना मेंटर के लोग अक्सर अपनी राह से भटक जाते हैं, जिससे उनके सपने प्रभावित होते हैं। ग्राफिक में देखिए- इन बातों को विस्तार से समझिए- खुद पर भरोसा कम हो जाता है बिना गाइड के जब बार-बार गलतियां होती हैं, तो हम सोचने लगते हैं 'मैं तो कुछ नहीं कर सकता'। जैसे, कोई स्टार्टअप शुरू करे और मार्केटिंग की सलाह न मिले, तो फेलियर से डर लगने लगता है। इससे आगे की कोशिशें रुक जाती हैं। तनाव बढ़ता है सोशल मीडिया पर दूसरों की सफलता देखकर लगता है कि सब आगे हैं, हम पीछे। बिना मेंटर के हम इसे हैंडल नहीं कर पाते, नतीजा उदासी और स्ट्रेस। ये हेल्थ पर असर डालता है और नींद तक छीन लेता है। रिश्ते प्रभावित होते हैं मेंटर न होने से हम अपनी फीलिंग्स को सही तरीके से शेयर नहीं कर पाते। फैमिली या दोस्तों के साथ छोटी बात पर गलतफहमी हो जाती है। अकेले फैसले लेने से रिश्ते कमजोर पड़ जाते हैं। समय बर्बाद होता है गलत रास्ते पर चलकर हम सालों लगा देते हैं, जबकि सही सलाह से वो समय बच सकता था। जैसे, गलत करियर चुनना और बाद में बदलना। सफलता देर से मिलती है बिना गाइड के टीम बनाना या लीडरशिप सीखना मुश्किल होता है। जिनको सही मेंटरशिप मिलती है, वे लोग लोग जल्दी प्रमोशन पाते हैं। हालांकि, अच्छी बात ये है कि मेंटर ढूंढा जा सकता है। मेंटर होना क्यों जरूरी है? मेंटर हमारी जिंदगी को नई दिशा देता है। ये हमें मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत देता है और सपनों की ओर ले जाता है। हर इंसान का सफर अलग है, लेकिन मेंटर से हम चुनौतियों को आसान बना सकते हैं। ये आत्मविश्वास बढ़ाता है, स्किल्स सुधारता है और मेंटल हेल्थ बेहतर करता है। असली बदलाव खुद से शुरू होता है अपनी जरूरतों पर ध्यान दें। अगर करियर में उलझन है, तो सोचें कि किस तरह का मेंटर चाहिए। ये छोटा कदम बड़ा फर्क ला सकता है। छोटे बदलाव से मिलती है बड़ी सफलता हर दिन मेंटरशिप पर थोड़ा सोचें, तो साल भर में आपका माइंडसेट बदल जाएगा। मेंटर के बिना और मेंटर के साथ जिंदगी में किस तरह के फर्क आते हैं, ग्राफिक में देखिए। मेंटर के मुख्य गुण क्या हैं? मेंटर कोई जादूगर नहीं, बल्कि कुछ खास गुणों वाला इंसान है। इन्हें समझकर हम सही चुनाव कर सकते हैं। इन्हें विस्तार से समझेंगे, इससे पहले ग्राफिक देखिए। सुनने की काबिलियत बढ़ाएं ये मेंटर की बुनियाद है। वो आपकी समस्याओं को बिना जज किए सुनता है और समझता है कि आप कहां फंस रहे हैं। जैसे, अगर आप उदास हैं, तो वजह पूछकर सलाह दे। ईमानदारी जरूरी मेंटर आपकी तारीफ ही नहीं, कमियां भी बताता है। ये आपको शांत रखता है और सुधारने में मदद करता है। अनुभव साझा करें मेंटर अपनी जिंदगी की कहानियां बताकर प्रेरणा देता है। यह बताता है कि वह कैसे फेलियर से उबरा। उपलब्धता जरूरी मेंटर हमेशा फोन पर नहीं, लेकिन जरूरत पर उपलब्ध होता है। ये रिश्ता मजबूत बनाता है। मेंटर कैसे ढूंढें? मेंटर ढूंढना आसान नहीं, लेकिन कुछ प्रैक्टिकल तरीकों से यह मुमकिन है। आइए देखते हैं। अपने क्षेत्र के सफल लोगों को फॉलो करें सोशल मीडिया या किताबों से उनके बारे में पढ़ें। जैसे, लिंक्डइन पर कनेक्ट हों। नेटवर्किंग करें इवेंट्स, वर्कशॉप या ऑनलाइन ग्रुप्स में शामिल हों। वहां से मेंटर मिल सकता है। माइंड ओपन रखें मेंटर हमेशा फेमस नहीं होता। कभी आपका टीचर या दोस्त भी हो सकता है। फीडबैक लें अपने आसपास के लोगों से पूछें कि कौन अच्छा गाइड हो सकता है। ये टिप्स रोज अपनाएं, मेंटर मिल जाएगा। मेंटर की ताकत मेंटर जिंदगी को रीप्रोग्राम करता है। ये तनाव कम करता है, रिश्ते बेहतर बनाता है। रिसर्च कहती है कि मेंटर वाले लोग लीडरशिप में आगे रहते हैं। लीडरशिप में मेंटर लीडर्स मेंटर से टीम को मोटिवेट करना सीखते हैं। जैसे, मुश्किल में अनुभव से ट्रस्ट बनाते हैं। प्रेरणा की मिसाल हैं ये सफल लोग महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता को गोपाल कृष्ण गोखले ने मेंटर किया। गोखले ने उन्हें राजनीति और सामाजिक मुद्दों की समझ दी, जिससे गांधी ने आजादी की लड़ाई लड़ी। एपीजे अब्दुल कलाम पूर्व राष्ट्रपति को विक्रम साराभाई ने गाइड किया। साराभाई ने उन्हें स्पेस साइंस में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी, जिससे कलाम मिसाइल मैन बने। सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के भगवान को रामाकांत आचरेकर ने मेंटर किया। आचरेकर ने उन्हें डिसिप्लिन और टेक्नीक सिखाई, जिससे सचिन वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए। मेंटर और बॉस में फर्क बॉस रिजल्ट पर अधिक फोकस करता है, जबकि मेंटर आपके ग्रोथ पर फोकस करता है। बॉस अच्छा मेंटर हो सकता है, लेकिन हमेशा नहीं होगा। उसे आपकी बहुत परवाह नहीं होगी। अच्छा मेंटर अपकी कमियों पर फीडबैक देगा और सुधार होने पर तारीफ भी करेगा। आप कहीं भटकेंगे तो टोकेगा। नेगेटिव विचारों को अलविदा कहें मेंटर हमारे दिमाग में लगे जाले साफ करता है। हमारी सोच-समझ को ज्यादा स्पष्ट और सटीक बनाता है। मेंटर की सलाह लें, मेहनत करें और सफलता पाएं। याद रखें, सही मेंटर आपका सबसे बड़ा साथी है। आज से तलाश शुरू करें, जिंदगी बदल जाएगी। ……………… ये खबर भी पढ़िए सक्सेस मंत्रा- क्या आपका दिमाग इधर-उधर भागता है: कैसे सीखें दिल-दिमाग को एकाग्र करना, रोज करें 6 अभ्यास, यही है सफलता का राज महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था- सफलता जिज्ञासा, एकाग्रता, दृढ़ता और आत्म-आलोचना से आती है। उनकी यह बात उनकी क्रांतिकारी खोजों में झलकती है, जैसे सापेक्षता का सिद्धांत, जिसने विज्ञान की दुनिया बदल दी। पूरी खबर पढ़िए...