जरूरत की खबर- खाना छुरी-कांटे से नहीं, हाथ से खाएं:आयुर्वेद में बताए गए हैं इसके 10 फायदे, साथ ही ये 9 सावधानियां भी जरूरी

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हमारे आसपास ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जो चम्मच और कांटों (Spork) से भोजन करना पसंद करते हैं। आजकल इसे एक ‘सिविलाइज्ड’ आदत के तौर पर देखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाथ से खाना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। दरअसल भोजन करना केवल पेट भरने का काम नहीं है। यह शरीर, मन और आत्मा को जोड़ने वाला अनुभव है। मिस्र, मेसोपोटामिया और ग्रीस जैसे प्राचीन सभ्यताओं में भी लोग हाथ से ही खाना खाते थे। भारत में यह परंपरा आयुर्वेद की जड़ों से जुड़ी है, जहां हाथों को पांच तत्वों (पंचमहाभूत) का प्रतिनिधि माना जाता है। आज की आधुनिक रिसर्च भी यही कहती है कि हाथ से खाना खाने से पाचन तंत्र बेहतर होता है और हम ज्यादा माइंडफुल होकर खाते हैं। यही वजह है कि आज भी करोड़ों लोग हाथ से ही खाना खाते हैं। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम हाथ से खाना खाने के हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. पी.के. श्रीवास्तव, पूर्व सीनियर कंसल्टेंट, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, लखनऊ सवाल- हाथ से खाना खाने की परंपरा का क्या महत्व है? जवाब- यह परंपरा सदियों पुरानी है। आयुर्वेद में इसे पंचमहाभूत से जोड़ा जाता है, जिसमें अंगूठा (अग्नि), तर्जनी (वायु), मध्यमा (आकाश), अनामिका (पृथ्वी) और छोटी उंगली (जल) का प्रतिनिधित्व करती है। जब हम हाथ से खाते हैं तो ये तत्व सक्रिय होते हैं, जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करते हैं। वहीं वैज्ञानिक तौर पर हाथों से भोजन को छूने से ब्रेन को सिग्नल मिलता है कि खाना मिलने वाला है, जिससे लार और पाचन एंजाइम्स का प्रोडक्शन बढ़ता है। इससे डाइजेशन आसान हो जाता है और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं कम होती हैं। सवाल- हाथ से खाना खाने के क्या हेल्थ बेनिफिट्स हैं? जवाब- यह माइंडफुल ईटिंग का एक बेहतर तरीका है। चम्मच से खाने में जल्दबाजी होती है। लेकिन हाथ से खाने में हम भोजन की बनावट, तापमान और कंसिस्टेंसी को महसूस करते हैं, जिससे धीरे खाते हैं और ओवरईटिंग कम होती है। इससे वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है। इसके अलावा यह स्ट्रेस कम करता है। खाते समय सेंसरी एक्सपीरियंस से कोर्टिसोल (स्ट्रेस हॉर्मोन) लेवल घटता है, जो पाचन को प्रभावित करता है। जैसे ही उंगलियां भोजन को छूती हैं, ब्रेन को संदेश मिलता है और पाचन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इससे सलाइवा ज्यादा बनता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। आयुर्वेद में इसे ‘जीवनशक्ति बढ़ाने वाला’ माना जाता है। नीचे दिए ग्राफिक से इसके फायदे समझिए- सवाल- हाथ से खाना खाने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जवाब- आयुर्वेदाचार्य डॉ. पी.के. श्रीवास्तव बताते हैं कि खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोना बेहद जरूरी है। इससे न केवल हाइजीन बनी रहती है, बल्कि ब्रेन को यह सिग्नल मिलता है कि खाने का समय है। इसके अलावा कुछ और बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- हाथ से खाना खाने से वेट मैनेजमेंट में कैसे मदद मिलती है? जवाब- डॉ. पी.के. श्रीवास्तव बताते हैं कि हाथ से खाना खाने से माइंडफुल ईटिंग बढ़ती है, जिससे वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है। जब हम हाथ से खाते हैं तो धीरे खाते हैं, छोटे निवाले लेते हैं और जल्दी तृप्त महसूस करते हैं। इससे कैलोरी इनटेक कम होता है। हालांकि यह अकेला पर्याप्त नहीं है। इसके लिए बैलेंस्ड डाइट और एक्सरसाइज भी जरूरी है। सवाल- क्या हाथ से खाना खाने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है? जवाब- बिल्कुल, हाथ से खाना खाने से स्ट्रेस कम होता है और माइंडफुलनेस बढ़ती है। खाने के साथ कनेक्शन से ग्रेटीट्यूड की भावना आती है, जो मानसिक शांति देती है। स्टडीज दिखाती हैं कि यह कोर्टिसोल लेवल कम करता है और खुशी बढ़ाता है। आयुर्वेद में इसे 'सत्व गुण' बढ़ाने वाला माना जाता है। सवाल- किन लोगों को हाथ से खाना खाने से बचना चाहिए? जवाब- वैसे तो हाथ से भोजन करना सभी के लिए सुरक्षित है। लेकिन कुछ लोगों को इससे बचना चाहिए। जैसेकि- सवाल- क्या बच्चों को भी हाथ से खाना खाने देना सुरक्षित है? जवाब- डॉ. पी.के. श्रीवास्तव बताते हैं कि हां, बच्चों में यह आदत मोटर स्किल्स और भोजन से जुड़ाव दोनों को बढ़ाती है। छोटे बच्चे जब खाना छूते हैं तो वे टेक्सचर और टेम्परेचर को समझते हैं। इससे उनका ब्रेन डेवलपमेंट और भूख को समझने की क्षमता बेहतर होती है। ..................... जरूरत की ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- एंटीऑक्सिडेंट के लिए खाएं ये चीजें: शार्प ब्रेन और मजबूत इम्यूनिटी के लिए जरूरी, जानें कब लेना चाहिए सप्लीमेंट एंटीऑक्सिडेंट एक ऐसा नेचुरल कंपाउंड है, जो शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करता है। फ्री रेडिकल्स हमारी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे समय से पहले बुढ़ापा (एजिंग) और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। पूरी खबर पढ़िए...