एन. रघुरामन का कॉलम:क्या आप देख रहे हैं कि विवाह की स्क्रिप्ट बदल गई है?

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आपने किसी गौरवान्वित गृहिणी को शायद अपने बच्चे से यह कहते सुना होगा कि ‘इस घर की एक–एक कील और हर छोटी-बड़ी चीज तुम्हारे पापा और मैंने बनाई है। वो आगे कहती हैं ‘हमने अपनी जिंदगी उस छोटे-से धन से शुरू की थी, जो हमें शादी में रिश्तेदारों और दोस्तों से उपहार के तौर पर मिला था। आज तुम देख रहे हो कि स्वाभिमान के साथ हम इन चीजों के मालिक हैं। वास्तव में वर्षों तक हमने इन सभी चीजों को जुटाने के लिए कड़ी मेहनत की है।’ यदि आप बेबी बूमर हैं (1964 से पहले जन्मे) तो आपने या आपके जीवनसाथी ने कई बार गर्व के साथ यह बात बच्चों से कही होगी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सदियों से विवाह का संस्थान रोमांटिक से ज्यादा एक आर्थिक अनुबंध के तौर पर कार्य करता रहा है– पति–पत्नी, दोनों एक-दूसरे से वित्तीय सफलता और स्थिरता हासिल करने लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने का वादा करते थे। लेकिन पिछले दो वर्षों में, खासकर 2025 में शादी की स्क्रिप्ट बदल रही है। वित्तीय सुरक्षा अब शादी के बाद हासिल करने वाला लक्ष्य नहीं रहा, बल्कि कइयों के लिए शादी से पहले की जरूरत बन गई है। क्योंकि शादी लायक उम्र के युवा समाज को संदेश देना चाहते हैं कि वे अपने जीवन की अधिक सुरक्षित अवस्था में पहुंच गए हैं और अब एक जीवनसाथी तलाश सकते हैं। युवाओं की मानसिकता में यह बदलाव ही एक बड़ा कारण है, जिससे शादी की उम्र बढ़ रही है। हाल के विवाहों में पुरुषों के लिए अब अनुमानित औसत आयु लगभग 30 वर्ष और महिलाओं के लिए 28 वर्ष देखी गई है। कुछ विवाह तो 35 वर्ष के पुरुषों और 32 वर्ष की महिलाओं के बीच भी हो रहे हैं। जब विदेशी विश्वविद्यालयों से एमबीए और पीएचडी करने वाले एक-दूसरे से शादी करने का फैसला करते हैं तो उन्हें अपने विवाह का एक व्यापक दृष्टिकोण मिलता है, जो शादी के बाद के उनके जीवन को लेकर मानकों को और बढ़ा देता है। यही कारण है कि दो साल पहले की औसत आयु, जो पुरुषों के लिए 28 और महिलाओं के लिए 26 थी, अब लागू नहीं होती। हां, कुछ हद तक डेटिंग के बारे में पारंपरिक सोच जरूर नहीं बदली है। वे एक-दूसरे के प्रति आकर्षित तो होते हैं, लेकिन पहली मुलाकात में ही वे पैसे और अपनी वित्तीय स्थिति पर बात करने से नहीं झिझकते। माता-पिता की संपत्ति एक और प्रमुख विषय है, जिस पर वे बात करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें यह अंदाजा मिलता है कि अगर वे शादी का फैसला करते हैं तो कितनी जल्दी वित्तीय स्थिरता हासिल कर सकते हैं। युवा महिलाओं के लिए ऐसी पदोन्नति पाना अधिक महत्वपूर्ण है, जो उन दोनों को साझा तौर पर एक घर खरीदने के लिए उचित ऋण लेने के काबिल बनाए। पुरुष घर के डाउन पेमेंट के लिए बचत करते हैं या शेयर बाजार में अपनी जानकारी का प्रदर्शन करते हैं। चूंकि होम लोन्स 25 वर्षों से भी अधिक समय तक चलते हैं तो उनका नजरिया स्पष्ट होता है कि इसकी किस्तों का भुगतान किसी एक ही नौकरी से ही हो जाना चाहिए। कॉर्नेल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बेंजामिन गोल्डमैन ने अपने शोध में पाया कि महिलाएं अन्य कॉलेज स्नातकों से कम, बल्कि ज्यादा कमाई वाले पुरुषों से शादी अधिक कर रही हैं– भले वो कॉलेज एजुकेटेड हो या नहीं। इससे कम शिक्षित महिलाओं के लिए विकल्प बहुत कम रह जाते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि दुनिया भर में महिलाओं की सापेक्ष आर्थिक स्थिति सुधरी है, जबकि कई पुरुष संघर्ष कर रहे हैं। कार्यस्थलों पर अधिक शिक्षित महिलाओं के आने से परिवार में ‘मुख्य कमाने वाले का दर्जा’ अब डगमगाने लगा है। हालांकि, अभी यह दर्जा पुरुषों के हाथ से पूरी तरह फिसला नहीं है। फंडा यह है कि बेटे–बेटियों पर जीवन में जल्द ‘सेटल’ होने का दबाव मत बनाइए। उनके पास विवाह की अलग स्क्रिप्ट है। उनसे पूछिए कि हम घर बसाने में उनकी मदद कैसे कर सकते हैं। हो सकता है कि इससे वे अपनी स्क्रिप्ट को फिर से लिखें, आर्थिक डर को थोड़ा हटाए और भावनाओं के लिए जगह बनाएं।