रिलेशनशिप एडवाइज- बॉयफ्रेंड ऑफिस के दोस्तों से मिलने नहीं देता:रिलेशनशिप एडवाइज- बॉयफ्रेंड ऑफिस के दोस्तों से मिलने नहीं देता

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सवाल: मैं नोएडा में रहती हूं, मेरी उम्र 28 साल है। मैं कॉर्पोरेट जॉब करती हूं और 2 साल से एक रिलेशनशिप में हूं। मैं और मेरा बॉयफ्रेंड पिछली कंपनी में साथ काम करते थे। पहले हमारी दोस्ती हुई और बाद में सबकुछ प्यार में बदल गया। एक साल पहले मैंने जॉब स्विच की और दूसरी कंपनी में आ गई। मेरे बॉयफ्रेंड को पिछली कंपनी में ही प्रमोशन मिल गया तो वो रुक गया। हम जब तक साथ काम कर रहे थे, सब बढ़िया चल रहा था। अब मैं जब से दूसरी कंपनी में आई हूं, उसका पजेसिव बिहेवियर मुझे परेशान कर रहा है। वो इस ऑफिस के मेरे दोस्तों से मिलने पर नाराज होता है, मेरी ड्रेसिंग को लेकर बातों के बीच में कमेंट करता है और हर वक्त जानना चाहता है कि मैं कहां हूं। उसे मेरी ऑफिस में होने वाली पार्टियों में मेरे जाने से भी दिक्कत है। पहले मुझे लगता था कि वो केयरिंग है, लेकिन अब घुटन सी महसूस होती है। मैं कैसे तय करूं कि यह प्यार है या कंट्रोलिंग रिलेशनशिप? मुझे क्या करना चाहिए? एक्सपर्ट: जया सुकुल, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, दिल्ली जवाब: सबसे पहले तो ये समझिए कि आप जो महसूस कर रही हैं, वो बिल्कुल सही और नॉर्मल है। 28 साल की उम्र में, जब जिंदगी में करियर, दोस्त और खुद की आजादी सब कुछ बैलेंस करने की कोशिश कर रही हों, तब रिश्ते में ऐसी पजेसिवनेस वाकई घुटन पैदा कर सकती है। आपने बताया कि शुरू में बॉयफ्रेंड का हर वक्त लोकेशन पूछना, ड्रेसिंग पर कमेंट करना और दोस्तों से मिलने पर नाराज होना आपको उसकी फिक्र लगता था। लेकिन अब ये सब आपको बंधन जैसा लग रहा है, जैसे आप अपनी जिंदगी जी ही नहीं पा रही हों। ये फीलिंग बहुत सी लड़कियों को आती है, और अच्छी बात ये है कि आप इसे पहचान रही हैं। चलिए, इस परेशानी को स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं और देखते हैं कि ये प्यार है या कंट्रोल और क्या करना चाहिए। प्यार और पजेसिवनेस में फर्क समझिए प्यार और पजेसिवनेस अक्सर एक जैसे लगते हैं, लेकिन असल में ये दो अलग-अलग चीजें हैं। प्यार वो है जो आपको उड़ने की आजादी देता है, जबकि पजेसिवनेस वो है जो आपको पिंजड़े में बंद करने की कोशिश करता है। अगर बॉयफ्रेंड का हर वक्त ये जानना चाहता है कि आप कहां हैं या ड्रेसिंग पर कमेंट करता है। ये शुरू में केयर लग सकता है, लेकिन अगर ये आपको असहज कर रहा है। असल में ये असुरक्षा से आ रहा है, ना कि सच्चे प्यार से। ऐसे रिश्तों में पार्टनर की अपनी इनसिक्योरिटी ज्यादा होती है, जो वो दूसरे पर थोप देते हैं। इससे रिश्ता धीरे-धीरे टॉक्सिक बन जाता है और आपकी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है, जैसे चिड़चिड़ापन, तनाव या खुद पर शक। प्यार और पजेसिवनेस में फर्क देखिए- रिश्ते में बराबरी क्यों जरूरी है? एक हेल्दी रिलेशनशिप की नींव बराबरी होती है। मतलब दोनों पार्टनर एक-दूसरे को बराबर का सम्मान दें, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद को वैल्यू दें। अगर आपका बॉयफ्रेंड आपकी ड्रेसिंग पर कमेंट करता है कि ये मत पहनो, वो पहनो, तो वो आपकी पर्सनल चॉइस को इग्नोर कर रहा है। ये बराबरी नहीं, बल्कि डॉमिनेंस है। महिलाओं के लिए ये और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि समाज पहले से ही हमें बताता है कि हमें कैसे रहना चाहिए। याद रखिए, आपकी पहचान आपके चुनावों से बनती है। कपड़े, दोस्त, करियर सब कुछ। एक सच्चा पार्टनर आपको सपोर्ट करता है, न कि आपको बदलने की कोशिश करता है। अगर रिश्ता आपको पहले से ज्यादा कमजोर या डिपेंडेंट फील करा रहा है, तो वो हेल्दी नहीं है। स्टडीज दिखाती हैं कि कंट्रोलिंग रिश्तों में महिलाएं अक्सर अपनी आईडेंटिटी खो देती हैं, और ये डिप्रेशन तक ले जा सकता है। कंट्रोलिंग रिश्ते के रेड फ्लैग्स अब बात करते हैं उन संकेतों की जो बताते हैं कि आपका रिश्ता कंट्रोलिंग हो रहा है। ये छोटी-छोटी चीजें शुरू में नजरअंदाज हो जाती हैं, लेकिन बाद में बड़ी समस्या बन जाती हैं। अगर आपका बॉयफ्रेंड अगर दोस्तों से मिलने पर नाराज होता है, तो ये उसकी जलन या शक है। या हर वक्त लोकेशन पूछना, ये ट्रस्ट की कमी दिखाता है। ये आपकी बॉडी और चॉइस पर कंट्रोल करने की कोशिश है। इसके ये संकेत भी हो सकते हैं कि वह आपको गिल्ट फील कराता है कि तुम मेरे लिए ये नहीं कर रही। आपके फैसलों को इग्नोर करता है या आपको फैमिली-फ्रेंड्स से अलग करने की कोशिश करता है। अगर ये पैटर्न लगातार है, तो ये प्यार नहीं, बल्कि मैनिपुलेशन है। मैंने कई क्लाइंट्स देखे हैं जो ऐसी स्थिति में फंस जाते हैं और बाहर निकलना मुश्किल लगता है, लेकिन पहला स्टेप है इसे पहचानना। खुद से पूछिए ये सवाल कभी-कभी जवाब हमारे अंदर ही छिपे होते हैं, बस उन्हें बाहर निकालने की जरूरत है। खुद से ईमानदारी से पूछिए: क्या इस रिश्ते में मैं खुद को आजाद महसूस करती हूं? क्या मेरी ड्रेसिंग, दोस्त या करियर चॉइस की इज्जत होती है? क्या मैं बिना डर के अपनी बात कह सकती हूं? अगर ज्यादातर जवाब 'नहीं' हैं, तो ये कंट्रोल है। ये सवाल आपको क्लियरिटी देंगे। याद रखिए, प्यार आपको मजबूत बनाता है, न कि कमजोर। अब क्या करें? ब्रेकअप करें या नहीं? ये फैसला आपका है, लेकिन अगर पजेसिवनेस बढ़ती जा रही है और आपको डर या गिल्ट फील हो रहा है, तो बाहर निकलना बेहतर है। प्यार कभी डराता नहीं है। कई महिलाएं ऐसे रिश्तों में फंसकर सालों बर्बाद कर देती हैं, लेकिन बाहर निकलने के बाद वो ज्यादा स्ट्रॉन्ग और खुश महसूस करती हैं। याद रखिए, आप अकेली नहीं हैं। कई लोग इससे गुजरते हैं और बाहर निकलते हैं। आखिर में खुद को प्राथमिकता दें असली प्यार आपको आजाद रखता है, न कि बंधन में बांधता है। आप एक ऐसी महिला हैं जो अपनी जिंदगी खुद चलाती है, किसी की पजेसिवनेस से उसे मत खोइए। अगर रिश्ता आपको घुटन दे रहा है, तो उसे सुधारने या छोड़ने की हिम्मत रखिए। आपकी खुशी सबसे कीमती है। अगर आपको लगे कि ये प्यार है तो देखिए क्या वो बदलाव लाता है। वरना, एक बेहतर रिश्ता इंतजार कर रहा है, जहां बराबरी, भरोसा और खुशी हो। हिम्मत रखिए, सब ठीक होगा। ……………… ये खबर भी पढ़िए रिलेशनशिप एडवाइज- पति बेरोजगार हैं:ससुराल से मदद लेने में उनका इगो टकराता है, पति को कैसे समझाऊं, मदद लेना कमजोरी नहीं, साहस है आप भविष्य की चिंता में हैं, लेकिन अपने पति के दुख को बढ़ाना नहीं चाहती हैं। आपके परिवार ने मदद की पेशकश की है, लेकिन आपके पति को लगता है कि इससे उनका आत्मसम्मान कम होगा। पूरी खबर पढ़िए...